नई दिल्ली : प्रत्येक अवसर पर लच्छेदार भाषण देने के लिए नरेन्द्र मोदी को आड़े हाथ लेते हुए केंद्रीय मंत्री सचिन पायलट ने कहा है कि गुजरात के मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री बनने की आकांक्षा से सराबोर हैं तथा इतने आत्ममुग्ध है कि गलत में सही को देख रहे हैं.
कंपनी मामलों के मंत्री ने आरोप लगाया कि भाजपा नेता विकास एवं शासन का झूठा मुखौटा दिखा रहे हैं जबकि उनका मूल उद्देश्य हिन्दुत्व एजेंडा बना हुआ है जिसमें ‘‘भावनाओं को भड़काया जाये और विभेद पैदा किया जाये.’’
कांग्रेस के युवा नेता ने कहा, ‘‘बहरहाल, भारत के लोग उन मुद्दों से आगे बढ़ गये हैं तथा वे अब ज्यादा समझदार हो गये हैं. भारत एक नया देश है जिसमें बहुत अधिक मजबूत युवा आबादी और मध्यम वर्ग है जो चाहता है कि मंदिर या मस्जिद से ज्यादा कालेज हों. ’’
पायलट ने एक साक्षात्कार ने कहा, ‘‘मुझे लगाता है कि मोदी इस हद तक आत्ममुग्ध हैं कि गलत में भी सही देख ले रहे हैं. ऐसा प्राय: तब होता है जब कोई व्यक्ति संभावित प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनने की धुन से ग्रस्त हो.’’
अजमेर के 36 वर्षीय सांसद पायलट ने कहा कि मोदी की स्वीकार्यता उनकी पार्टी के भीतर एवं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के शीर्ष नेतृत्व के बीच ही प्रश्नचिन्ह बनी हुई है. लेकिन इसके बावजूद वह स्वतंत्रता दिवस सहित हर मौके पर लच्छेदार भाषण देने से बाज नहीं आते.
मोदी द्वारा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्वाधीनता दिवस भाषण की आलोचना का जिक्र करते हुए पायलट ने कहा कि उस महत्वपूर्ण दिन का इस्तेमाल संकीर्ण राजनीति के लिए नहीं किया जाना चाहिए. पायलट ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री किसी एक पार्टी के लिए भाषण नहीं दे रहे थे..वह देश के नेता के रुप में बोल रहे थे. इसके बावजूद मोदी ने उस दिन को राजनीति करने के लिए चुना, वह भी अपने लगभग भोथरे अंदाज में. उसमें उनकी संभावित प्रधानमंत्री प्रत्याशी बनने की खासी इच्छा भी झलकती है..यह आलोचना और उसका समय बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.’’
मोदी ने पाकिस्तान एवं चीन की भड़काने वाली कार्रवाई के जवाब में प्रधानमंत्री द्वारा 15 अगस्त को दिये गये भाषण में बेहद ‘‘कमजोर एवं क्षीण’’ प्रतिक्रिया तथा विभिन्न अन्य मुद्दों को लेकर उनकी आलोचना की थी. मोदी ने शासन के मामले में प्रधानमंत्री को सार्वजनिक बहस की चुनौती दी थी तथा कहा था कि राष्ट्र ‘‘बदलाव के लिए व्यग्र’’ है.
पायलट ने कहा, ‘‘मैं प्रसन्न हूं कि भाजपा के कुछ नेताओं में तो इस अवसर के लिए गरिमा एवं सम्मान है क्योंकि उन्होंने मोदी द्वारा स्वाधीनता दिवस के अवसर पर राजनीति करने की कोशिश की आलोचना की थी.’’
कंपनी मामलों के मंत्री ने कहा, ‘‘लालकृष्ण आडवाणी जैसे कद्दावर नेता ने उनकी आलोचना की. इससे पता चलता है कि भाजपा में कुछ नेता अभी तक यह मानते हैं कि राष्ट्र सबसे उपर है और वे मोदी के लच्छेदार भाषणों के बावजूद उनके बारे में नहीं सोच रहे हैं.’’