अहमदाबाद: गुजरात उच्च न्यायालय ने आज निलंबित पुलिस उपनिरीक्षक एन के अमीन को जमानत देने से इंकार कर दिया. उन्हें सीबीआई ने 2004 के इशरत जहां मुठभेड़ मामले में गिरफ्तार किया था.
न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया ने अमीन की याचिका खारिज की जिसमें उन्होंने इस आधार पर जमानत की मांग की थी कि सीबीआई उनकी गिरफ्तारी के 90 दिन के भीतर दंड प्रक्रिया संहिता के तहत आरोप पत्र दायर करने में विफल रही.अमीन ने दावा किया कि 3 जुलाई को दायर आरोप पत्र अधूरा था. इसलिए इसे 90 दिन के भीतर दायर आरोप पत्र नहीं माना जाना चाहिए.
निचली अदालत ने 9 जुलाई को उनकी याचिका खारिज कर दी थी.उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के आदेश को यह कहते हुए बरकरार रखा कि सीबीआई की ओर से दायर आरोप पत्र को अधूरा नहीं कहा जा सकता.अमीन और छह अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दायर आरोप पत्र में आरोप लगाया गया था कि मुंबई की 19 वर्षीय लड़की इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्राणोश पिल्लै, जीशान जौहर और अमजद अली राणा की साल 2004 में फर्जी मुठभेड़ में हत्या की गई थी. उसमें आरोप लगाया गया है कि यह राज्य पुलिस और खुफिया ब्यूरो का संयुक्त अभियान था.
अमीन पर हत्या के दो दिन पहले इशरत और शेख का वसाड से अपहरण करने और कथित मुठभेड़ के दौरान गोली चलाने का आरोप है.आईपीएस अधिकारी जी एल सिंघल, सेवानिवृत्त डीएसपी जे जी परमार, महेसाणा के डीएसपी तरुण बारोट और कमांडो अनाजू चौधरी को विशेष सीबीआई अदालत ने उनकी गिरफ्तारी के 90 दिन के भीतर आरोप पत्र दायर करने में विफल रहने पर जमानत दी है.