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स्विस लिंक मामले में 350 खातों की पहचान हुई, 60 पर कार्रवाई जारी : अरुण जेटली
नयी दिल्ली : केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि स्विस लिंक मामले में पुख्ता प्रमाण के आधार पर ही खाता धारकों पर सरकार कार्रवाई कर सकेगी. उन्होंने कहा कि सरकार वैसे लोगों पर कार्रवाई करेगी, जिसमें भारत में रहने वाले लोगों का खाता होगा. उन्होंने कहा कि एचएसबीसी में एकाउंट रखने वाले 60 […]
नयी दिल्ली : केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि स्विस लिंक मामले में पुख्ता प्रमाण के आधार पर ही खाता धारकों पर सरकार कार्रवाई कर सकेगी. उन्होंने कहा कि सरकार वैसे लोगों पर कार्रवाई करेगी, जिसमें भारत में रहने वाले लोगों का खाता होगा. उन्होंने कहा कि एचएसबीसी में एकाउंट रखने वाले 60 खातों धारियों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है. उन्होंने आज एक अंगरेजी अखबार में प्रकाशित खबर पर कहा कि ये नाम पहले से सरकार के पास हैं.
केंद्रीय वित्तमंत्री ने कहा कि सवाल सिर्फ नाम सामने आने का नहीं है, बल्कि पुख्ता प्रमाण का है. उन्होंने कहा कि कार्रवाई के लिए जरूरी प्रमाण की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि स्विस बैंक एकांउट मामले में 350 लोगों की पहचान हुई है, जिसमें 60 पर कार्रवाई हो रही है.
जेटली ने कहा कि जिन खातों की बात हो रही है, वे 2007-08 में खुले थे और ये नाम 2010 में सामने आ गये थे. वित्तमंत्री ने कहा कि उसी समय इन खाता धारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर देनी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि हमने मई 2014 के बाद इस पर कार्रवाई शुरू की. उनका इशारा इस मामले में पूर्व कांग्रेस सरकार द्वारा बरती गयी लापरवाही की ओर था.
उन्होंने कहा कि मीडिया में एचएसबीसी एकाउंट वाले जो 628 नाम चल रहे हैं, उसमें अधिकतर नाम वही हैं, जो भारत सरकार के पास है. हालांकि उन्होंने इस संबंध में मीडिया को कुछ ज्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया. वित्तमंत्री ने कहा कि खाता धारियों के खिलाफ पेनाल्टी लगाकार कार्रवाई किया जाना एक तरीका है. उन्होंने कहा कि सिर्फ उन्हीं खाताधारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है, जिसके खिलाफ पर्याप्त प्रमाण हो. वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार उन्हीं के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है, जो लोग भारत में रहते हैं. उन्होंने कहा कि जो एनआरआइ हैं या विदेश की नागरिकता ले चुके हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई का दूसरा तरीका है.
आज जो भारतीय नाम जारी किए गए हैं वे स्विट्जरलैंड में एचएसबीसी बैंक की प्राइवेट बैंकिंग इकाई में खाता रखने वालों की एक सूची में शामिल हैं. इस सूची में दुनियाभर के लोगों के नाम और 2006-07 में उनके खातों में जमा राशि बतायी गयी है. इस सूची में 200 से अधिक देशों के लोग शामिल हैं जिनके खातों में उस समय 100 अरब डालर (आज के हिसाब से 6,000 अरब रुपए) जमा थे.
आज 1,195 भारतीयों के नाम सामने आए हैं. यह एचएसबीसी के खाताधारक भारतीय नामों की पहली सूची की संख्या का दोगुना हैं. पहली सूची फ्रांस की सरकार ने 2011 में भारत को दी थी.
जेटली ने कहा कि गैरकानूनी तौर पर विदेशों में खाता रखने वाले 60 व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा शुरु किया है और 350 अन्य से जुर्माने वसूलने की कार्रवाई शुरु की जा चुकी है. उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग मुखबिरों के संपर्क में है ताकि ऐसे और लोगों की जानकारी हासिल की जा सके.
उन्होंने कहा, मैं यहां स्पष्ट करना चाहता हूं कि पहले दौर में ये नाम एचएसबीसी बैंक से जुड़े नाम थे. ये नाम सभी स्विस बैंकों से जुडे नहीं थे बल्कि केवल एक बैंक एचएसबीसी से जुड़े थे. इस मामले में भारत सरकार और राजस्व विभाग ने उस वक्त (4-5 साल पहले) कुछ पत्राचार किया था. इनमें 628 खातों से जुड़े ब्योरे थे. उन्होंने कहा कि इस सूची में कुछ प्रविष्टियों में सिर्फ नाम थे और कुछ खातों की पहचान हो सकती थी जबकि कुछ की पहचान नहीं हो सकती थी.
वित्त मंत्री ने कहा, पिछले 7-8 महीने से इस मामले में जोरदार प्रयास किए गए हैं. इन प्रयासों के तीन पहलू हैं. हमने बहुत से नामों की पहचान कर ली है. कुछ मामलों में, जैसा कि आमतौर पर होता है, पते और ब्योरों का पता लगाना कठिन होता है. इसलिए उनमें काम किया जा रहा है. जेटली ने कहा कि एचएसबीसी की पूर्व सूची में जाहिर 628 खाताधारकों में से करीब 350 मामलों में कर निर्धारण (असेसमेंट) पूरा हो गया है और जुर्माना लगाने की प्रक्रिया शुरु की जा चुकी है.
उन्होंने कहा कि शेष कर निर्धारण 31 मार्च, 2015 तक पूरा कर लिया जाएगा. साथ ही उन्होंने कहा कि कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. जेटली ने कहा कि अब तक 60 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं और ऐसे मामलों में नाम सार्वजनिक किए गए हैं जिनमें मुकदमा शुरु किया जा चुका है.
उन्होंने कहा कि सभी खाताधारकों के नाम गैर-कानूनी नहीं हो सकते क्योंकि कुछ ने कर विभाग को अपने विदेश के कारोबारी सौदों के बारे में जानकारी दी है जबकि इस सूची में शामिल कुछ नाम प्रवासी भारतीयों के हैं. जेटली ने कहा कि सरकार ने पिछले साल अक्तूबर में स्विट्जरलैंड की सरकार से बातचीत करने के लिए एक शिष्टमंडल भेजा था क्योंकि संदिग्ध मामलों से जुड़े साक्ष्य स्विट्जरलैंड में हैं.
उन्होंने कहा, स्विट्जरलैंड कहता रहा है कि इन खाताधारकों के नाम चुराए गए आंकड़ों पर आधारित हैं और अपने देश की नीति के तहत वहां की सरकार चोरी के आंकड़ों के आधार पर जांच में सहयोग नहीं कर सकती. इसके लिए 15 अक्तूबर को एक संयुक्त समझौते पर हस्ताक्षर किया गया.
जेटली ने कहा, पिछले महीने जब मैं दावोस (स्विट्जरलैंड) गया था तो उनकी वित्त मंत्री और वहां के राजस्व अधिकारियों से मुलाकात हुई थी और उनके सामने हमने यह मुद्दा फिर उठाया था क्योंकि हमारी आंकलन प्रक्रिया में कुछ ऐसे मामले हैं जिनमें कुछ लोगें ने खाते रखने की बात कबूल की है.
उन्होंने कहा कि सवाल यह उठा कि क्या किसी कर-निर्धारिति के कबूलनामे को अतिरिक्त साक्ष्य के तौर पर स्वीकार किया जा सकता है. जिस संबंध में उन्होंने (स्विस सरकार) कहा कि वह इसे साक्ष्य के तौर पर स्वीकार करेंगे. अब इन सब मामलों में खाताधारकों को दंड देने का एक तरीका यह है कि जुर्माना और मुकदमा चलाया जाए और उक्त राशि वापस ली जाए. यह प्रक्रिया अभी चल रही है.
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