नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राज्यों से वृद्धि, रोजगार सृजन व निवेश गतिविधियों में पुन:वृद्धि के लिए मतभेद भुलाकर काम करने की अपील की और उनसे परियोजना की धीमी रफ्तार के कारणों की व्यक्तिगत रुप से निगरानी करने को कहा. नवगठित राष्ट्रीय भारत-परिवर्तन संस्थान (नीति आयोग) की संचालन परिषद की यहां पहली बैठक को संबोधित करते हुए मोदी ने सुझाव दिया कि परियोजनाओं के क्रियान्वयन को तेज करने और उनसे संबंधित लंबित मुद्दों को निपटाने के लिए हर राज्य को अपने यहां एक अधिकारी विशेष को जिम्मेदारी देनी चाहिए. प्रधानमंत्री ने गरीबी को देश की एक बडी चुनौती बताते हुए कहा कि नवगठित नीति आयोग सहकारी व प्रतिस्पर्धी संघवाद का माडल विकसित करेगा. नीति आयोग ने छह दशक पुराने योजना आयोग की जगह ली है. यह केंद्र व राज्य सरकारों के लिए ‘बौद्धिक संस्थान’ के रुप में काम तो करेगा ही साथ ही नीति की दिशाएं भी सुझाएगा.
प्रधानमंत्री आयोग के अध्यक्ष हैं. आज की इस बैठक में 31 राज्यों व संघ शासित प्रदेशों के कई मुख्यमंत्रियों तथा उनके प्रतिनिधियों ने भाग लिया. मोदी ने कहा, ‘‘अपने सभी मतभेद भुलाते हुए हमें निवेश, वृद्धि, रोजगार व समृद्धि के लिए मिलकर काम करना चाहिए.प्रधानमंत्री मोदी ने 66 केंद्रीय योजनाओं को तर्कसंगत बनाने, कौशल विकास तथा स्वच्छ भारत कार्यक्रम के लिए मुख्यमंत्रियों के तीन उप-समूहों के गठन की भी घोषणा की.
पहला उपसमूह यह सुझाएगा कि कौन सी केंद्रीय योजनाएं जारी रखी जानी चाहिए और किसे बंद किया जाना चाहिए और किन योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए राज्यों को स्थानांतरित किया जाना चाहिए.मोदी ने कहा, ‘‘सबको एक तराजू में तौलने वाली योजनाओं के तरीके छोडेंगे और योजनाओं व राज्यों की जरुरत के हिसाब से योजना पेश करने पर ध्यान देंगे.
प्रधानमंत्री ने कहा कि अक्सर योजनाएं समय पर निर्णय नहीं होने के कारण अटक जाती हैं. उन्होंने मुख्यमंत्रियों से ऐसे कारणों पर व्यक्तिगत रुप से ध्यान देने को कहा, जिनके कारण परियोजनाओं की रफ्तार धीमी होती है. उन्होंने मुख्यमंत्रियों से, ‘‘निवेश चक्र, आर्थिक वृद्धि, रोजगार सृजन और संबृद्धि पर ध्यान देने की अपील की.
उन्होंने राज्यों से गरीबी उन्मूलन तथा कृषि उत्पादन बढाने के लिए दो अलग-अलग कार्यबल गठित करने को भी कहा है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बैठक में शामिल नहीं हुईं, पर बैठक में राजनीतिक मोर्चे पर संकट में घिरे बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी मौजूद रहे.
इसके अलावा बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, असम के मुख्यमंत्री तरण गोगोई, पंजाब के प्रकाश सिंह बादल, तमिलनाडु के ओ पनीरसेल्वम, केरल के मुख्यमंत्री ओमान चांडी, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के अलावा भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी भाग लिया.
मोदी ने मुख्यमंत्रियों से सहकारी संघवाद का माडल बनाने के लिए केंद्र के साथ काम करने को कहा. उन्होंने कहा कि दोनों को ‘टीम इंडिया’ के रुप में काम करना चाहिए और एक साथ आकर मतभेदों को दूर करना चाहिए और प्रगति व समृद्धि का समान रास्ता बनाना चाहिए.
प्रधानमंत्री ने इसे ऐसी बैठक करार दिया जिसमें ऐतिहासिक बदलाव लाने की क्षमता है. उन्होंने कहा कि नीति आयोग की संचालन परिषद राष्ट्रीय हित को आगे बढाने में सहयोग देगी. मोदी ने कहा कि भारत तब तक आगे नहीं बढ सकता जब तक सभी राज्य साथ साथ आगे नहीं बढें. उन्होंने कहा कि इसके पीछे विचार सभी राज्यों को ‘सबका साथ, सबका विकास’ की भावना के साथ एक साथ लाने का है.
उन्होंने कहा कि दुनिया ने अब भारत को अलग नजरिये से देखना शुरु कर दिया है. ‘‘हमारे समक्ष अभी भी सबसे बडी चुनौती गरीबी उन्मूलन की है.’’ मोदी ने कहा कि वृद्धि के बिना रोजगार सृजन नहीं हो सकता, गरीबी का उन्मूलन नहीं किया जा सकता. ‘‘हमारा सबसे पहला लक्ष्य उंची वृद्धि है.’’ प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि केंद्र सरकार राज्यों को वित्त, प्रौद्योगिकी और ज्ञान से सशक्त करना चाहती है ताकि वे बेहतर तरीके से योजना बना सकें और उनका क्रियान्वयन बेहतर तरीके से कर सकें.
उन्होंने बताया कि नीति आयोग की स्थापना के कैबिनेट के प्रस्ताव में विशेष उद्येश्यों के साथ क्षेत्रीय परिषदों गठन का प्रावधान है. उन्होंने उम्मीद जताई कि ये परिषदें दो या दो से अधिक राज्यों की एक जैसी समस्याओं से निपटने में सहयोग संबंध विकासित करने में मदद कर सकती हैं या उनके बीच ऐसे विवादों के सौहर्द्रपूर्णसमाधान में साहायक हो सकती हैं जो प्रगति में बाधक हैं.
मोदी ने कहा कि इसके अलावा ये परिषदें यात्र, परिवहन और पर्यटन क्षेत्रों में सदस्य राज्यों के बीच संयुक्त परियोजनाओं के लिए उत्प्रेरक की भूमिका भी निभा सकती हैं. उन्होंने कहा कि संघवाद काम कर सके इसके लिए जरुरी है कि राज्य साझा राष्ट्रीय उद्देश्यों के प्रोत्साहन में अपनी भूमिका निभाएं.
मोदी ने कहा कि काम काज के अच्छे तरीकों को राज्यों के बीच साझा किया जा सकता है और एक पोर्टल बनाया जा सकता है जिसके जरिये राज्य के अधिकारी ऐसे विषयों में अपने अनुभवों को साझा कर सकते हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दो दशकों में भारतीय अर्थव्यवस्था योजनागत अर्थव्यवस्था से खुद को बाजार अर्थव्यवस्था में बदल रही है. मोदी ने उपस्थित लोगों से कहा कि वे इस बात पर चर्चा करें कि कैसे योजना की प्रक्रिया को अंतिम रुप दिया जा सकता है.
मोदी ने कहा, ‘‘हमारा ध्यान राजकाज के बेहतर संचालन पर है जो आज की जरुरत भी है. हम जो भी करें काफी सोचविचार कर हो. इसका बेहतर तरीके से क्रियान्वयन किया जाए और इससे वांछित नतीजे हासिल होने चाहिए.’’