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सर्वदलीय बैठक: भाजपा ने मानसून सत्र में तेलंगाना पर विधेयक लाने को कहा

नयी दिल्ली: मानसून सत्र में किये जाने वाले विधायी कार्य पर चर्चा के लिए आज बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक में तेलंगाना के मुद्दे पर गरमागरम बहस हुई. भाजपा ने 5 अगस्त से शुरु हो रहे संसद के सत्र में ही इसे पेश करने की मांग की तो कुछ अन्य दलों ने तेलंगाना राज्य के गठन […]

नयी दिल्ली: मानसून सत्र में किये जाने वाले विधायी कार्य पर चर्चा के लिए आज बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक में तेलंगाना के मुद्दे पर गरमागरम बहस हुई. भाजपा ने 5 अगस्त से शुरु हो रहे संसद के सत्र में ही इसे पेश करने की मांग की तो कुछ अन्य दलों ने तेलंगाना राज्य के गठन का असर अन्य राज्यों पर पडने की आशंका जतायी.

बैठक में सभी दलों के बीच इस बात पर लगभग सहमति थी कि यह सुनिश्चित करने के लिए सुधारात्मक उपाय किये जायें कि प्रतिशोध की राजनीति के कारण राजनीतिज्ञ चुनाव लडने से वंचित नहीं होने पाएं. उल्लेखनीय है कि हाल ही में अदालत के एक फैसले में उन राजनीतिकों को चुनाव लडने से अयोग्य ठहराने के लिए कहा गया है, जो भले ही एक दिन के लिए पुलिस हिरासत में रहे हों.

विपक्षी दलों ने हालांकि एफडीआई में संशोधन लाने के सरकार के कदम पर कडी आपत्ति व्यक्त की. उनका कहना था कि विपक्षी दलों से सलाह मशविरा किये बगैर सरकार ऐसा कर रही है.बैठक में भाजपा ने खाद्य सुरक्षा विधेयक और भूमि अधिग्रहण विधेयक को उसके(भाजपा के) संशोधनों के साथ पारित कराने में समर्थन पर रजामंदी दी.

भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने यहां संवाददाताओं से कहा कि पार्टी ने मांग की कि सरकार तेलंगाना राज्य के गठन के लिए संसद के इसी सत्र में विधेयक लाये क्योंकि अब तक फैसला कांग्रेस पार्टी ने किया है न कि सरकार ने.सुषमा ने कहा कि जब विधेयक आएगा तो इसे सरकारी फैसला माना जाएगा. हम विधेयक का पूर्ण समर्थन करते हैं और सुनिश्चित करेंगे कि विधेयक पारित हो ताकि तेलंगाना की पुरानी मांग पूरी हो.

बैठक में तृणमूमल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल सरकार की अनदेखी कर गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन के नेताओं से बातचीत करने के लिए सरकार की आलोचना की.सूत्रों के अनुसार तृणमूल नेताओं ने आरोप लगाया कि तेलंगाना पर फैसले के बाद केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार पश्चिम बंगाल के लिए समस्याएं पैदा कर रही है. उन्होंने कहा कि गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे से मुलाकात के लिए केंद्रीय मंत्री गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) के नेताओं के साथ गये.

शिंदे ने हालांकि इस आरोप से इनकार किया. उन्होंने कहा कि कोई भी मंत्री जीटीए नेताओं के साथ उनके पास नहीं आया लेकिन गृह मंत्री के रुप में वह हमेशा उनसे मिल सकते हैं. तृणमूल सांसद के डी सिंह ने कहा कि केंद्र प्रदेश सरकार को सूचित किये बिना ही जीटीए नेताओं से सीधे मुलाकात कर संघीय ढांचे की भावना पर प्रहार कर रहा है. उन्होंने साथ ही कहा कि उनकी पार्टी तेलंगाना के खिलाफ नहीं है.

असम गण परिषद के नेता भी तेलंगाना पर लिए गये फैसले को लेकर चितिंत थे. उन्होंने कहा कि इससे न सिर्फ आंध्र प्रदेश बल्कि असम सहित ऐसे कई अन्य राज्यों पर भी असर पडेगा, जहां पृथक राज्य की मांग की जा रही है.पार्टी सांसद बीरेंद्र प्रसाद बैश्य ने कहा कि पृथक राज्य का मुद्दा काफी संवेदनशील है. इससे न सिर्फ आंध्र प्रदेश बल्कि देश के अन्य हिस्से भी प्रभावित होंगे.

राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा कि उनकी पार्टी चाहेगी कि सरकार तेलंगाना पर तत्काल विधेयक लाये.इस मांग पर संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया पूरी करने की आवश्यकता है और राज्य विधानसभा को पहले प्रस्ताव पारित करना है. जो भी कानूनी प्रकिया है, पूरी की जायेगी.

नाथ ने कहा कि आरक्षण और राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवार यदि एक दिन के लिए भी हिरासत में लिये जायें तो उन्हें चुनाव लडने से प्रतिबंधित करने जैसे उच्चतम न्यायालय के हाल के फैसलों पर सभी पार्टियों ने चिंता का इजहार किया.सुषमा ने कहा कि हाल में अदालत के कुछ फैसले आये हैं. एक फैसला है, जिसमें कहा गया है कि यदि आप चुनावों के दौरान एक दिन की भी पुलिस हिरासत में लिये गये तो आप चुनाव नहीं लड सकते.

उन्होंने कहा कि ऐसे फैसलों की समीक्षा की आवश्यकता है और इस बारे में यदि संशोधन आवश्यक हैं तो किये जाने चाहिए.

सुषमा ने कहा कि भाजपा ने उत्तराखंड त्रासदी, सीबीआई और आईबी के बीच टकराव और रुपये में गिरावट पर चर्चा की मांग की है. बैठक में पार्टी ने ये मुद्दे उठाये.भाकपा नेता डी राजा ने कहा कि सभी दलों के बीच इस बारे में आम सहमति थी कि संसद की सर्वोच्चता बरकरार रहनी चाहिए.

राजा ने कहा कि आरक्षण और राजनीतिक कार्यकर्ताओं जैसे कुछ मुद्दों पर उच्चतम न्यायालय ने फैसले दिये हैं, जिन्हें बैठक में उठाया गया और इस बारे में आम सहमति थी कि संसद की सर्वोच्चता बरकरार रहनी चाहिए.

जेटली ने कहा कि मानसून सत्र में 16 बैठकों में से विधायी कार्य के लिए सरकार के पास केवल 12 प्रभावी दिन हैं और सत्र के दौरान 64 विषय उठाये जाने का प्रस्ताव दर्शाता है कि सरकार उंची आकांक्षा लेकर चल रही है जबकि इससे यह नहीं पता चलता कि सरकार इस कामकाज को लेकर अधिक गंभीर है.

उन्होंने कहा कि सरकार इतने कम समय में यह चमत्कार कैसे कर पाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा संसद की कार्यवाही में बाधा नहीं चाहती और चर्चा चाहती है बशर्ते सरकार सकारात्मक रुख लेकर चले.

सुषमा ने भी महसूस किया कि 16 कार्यदिवस में 64 विधेयक चर्चा के लिए लेना अव्यावहारिक है हालांकि हो सकता है कि सरकार की मंशा सही हो. मैंने सरकार से कहा कि हमारे संशोधनों को शामिल कर भूमि अधिग्रहण और खाद्य सुरक्षा विधेयकों को पारित कराया जाए.तृणमूल नेता सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी भूमि अधिग्रहण विधेयक को पारित कराये जाने के खिलाफ है लेकिन संकेत दिया कि वह खाद्य सुरक्षा विधेयक पारित होने के दौरान बाधा नहीं डालेगी.

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