नयी दिल्ली: सन् 1962 के बाद से चीन ने भारत के 43,180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर अवैध रुप से कब्जा किया हुआ है. सीमा विवादों से जुड़े विषयों के समाधान के लिए 1988 में दोनों देशों के बीच संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी) का गठन किया गया था लेकिन चीन की ओर से बार बार वास्तविक नियंत्रण रेखा के उल्लंघन से इस दिशा में 25 वर्ष से जारी पहल पर सवाल खड़ा होता है.
सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत विदेश मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 1962 के बाद से चीन ने भारत के जम्मू कश्मीर क्षेत्र में पश्चिमी सेक्टर में करीब 38 हजार वर्ग किलोमीटर भूभाग पर कब्जा कर रखा है. उधर पाकिस्तान ने तथाकथित चीन. पाकिस्तान सीमा समझौता 1963 के तहत चीन को पाक अधिकृत कश्मीर का 5,180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र दे दिया है.
लद्दाख क्षेत्र में चीनी सेना की इस वर्ष अप्रैल माह की घुसपैठ के बारे में पूछे जाने पर मंत्रालय ने बताया कि छह मई 2013 को भारत और चीन की सरकार ने पश्चिमी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 15 अप्रैल 2013 से पूर्व की यथास्थिति बनाये रखने पर सहमति व्यक्त की है. ‘‘ इस बारे में रुपरेखा और औपचारिकताएं तय करने तथा व्यवस्था की पुष्टि के लिए फ्लैग बैठकें की गई हैं.’’
बहरहाल, चीन की सेना ने फिर से लद्दाख के चुमार सेक्टर में घुसपैठ कर भारतीय सेना के कुछ बंकरों को ध्वस्त कर दिया और सीमावर्ती पोस्ट पर लगे कैमरों के तार काट दिये. घुसपैठ 17 जून को हुई थी. इसी वर्ष 15 अप्रैल को लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी सेक्टर में चीनी घुसपैठ के कारण दोनों देशों के बीच कूटनीतिक गतिरोध की स्थिति उत्पन्न हो गई थी और 21 दिनों तक चला गतिरोध पांच मई को समझौते के बाद समाप्त हुआ.
मंत्रालय ने बताया, ‘‘तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की दिसंबर 1988 में चीन यात्र के दौरान दोनों पक्षों ने शांतिपूर्ण एवं मैत्रीपूर्ण विचार विमर्श के जरिये सीमा मुद्दों को सुलझाने पर सहमति व्यक्त की थी और इसी संदर्भ में भारत.चीन संयुक्त कार्य समूह का गठन किया गया था.’’