नयी दिल्ली : दस करोड़ रुपये के रेलवे रिश्वत मामले में पूर्व रेल मंत्री पवन कुमार बंसल को गवाह बनाने के सीबीआई के फैसले पर सवाल उठाते हुए इस मामले के तीन आरोपियों ने आज दिल्ली की एक अदालत से कहा कि जिस व्यक्ति को आरोपी बनाया जाना चाहिए था उसे मुक्त कर दिया गया.
गिरफ्तार आरोपियों राहुल यादव, समीर संधीर और सुशील दागा की जमानत याचिकाओं पर दलील देते हुए उनके अधिवक्ता ने अदालत से कहा कि सीबीआई उन्हें फंसा रही है और वे इस मामले की मुख्य साजिश में शामिल नहीं थे.
अधिवक्ता एसके शर्मा ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश स्वर्ण कांता शर्मा से कहा, जिस दिन आपने (सीबीआई) बंसल को इस मामले में गवाह बनाया, इस अदालत को सभी आरोपियों को बरी करना चाहिए था. आखिर जांच किस दिशा में जा रही है? उन्होंने कहा, वे (सीबाआई) इन बेचारों (यादव, संधीर और दागा) को फंसा रहे हैं और जिस व्यक्ति को आरोपी बनाया जाना चाहिए था उसे मुक्त कर दिया गया. अदालत ने उनकी जमानत याचिका पर आदेश नौ मई तक सुरक्षित रखा.
इस मामले में सीबीआई ने बंसल के भांजे विजय सिंगला सहित दस आरोपियों के खिलाफ दो जुलाई को आरोप पत्र में दायर किया था और पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री को अभियोजन पक्ष का गवाह बनाया था.
सुनवाई के दौरान, बचाव पक्ष के वकील ने दलील दी कि ये तीन आरोपी दो महीने से अधिक समय से हिरासत में हैं और वे रेलवे बोर्ड के तत्कालीन सदस्य (स्टाफ) महेश कुमार को सदस्य (इलेक्ट्रिकल) के पद पर नियुक्त करने के लिए साजिश में शामिल नहीं थे.
हालांकि सीबीआई ने उनकी याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वे इस पूरी साजिश में शामिल थे और अगर उन्हें जमानत पर रिहा किया गया तो वे अभियोजन पक्ष के गवाहों को प्रभावित करेंगे.
इस बीच, अदालत ने एजेंसी से पूछा कि जांच के दौरान दो आरोपियों सीवी वेणुगोपाल और एमवी मुरली कृष्ण को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया जबकि उनकी कथित भूमिका यादव, संधीर और दागा की तरह ही है.
न्यायाधीश ने कहा कि यह बहुत तकलीफदेह है कि इन तीनों को गिरफ्तार किया गया जबकि दो अन्य (वेणुगोपाल और कृष्ण) को सीबीआई ने गिरफ्तार नहीं किया जबकि उनकी भूमिका गिरफ्तार आरोपियों की तरह ही है.