मसूरी : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सिविल सेवकों को संविधान में दिए गए महत्वपूर्ण आश्वासनों को लागू करने को कहा है. लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में सिविल सेवकों के 89वें बैच के पासिंग आउट के दौरान अपने भाषण में मुखर्जी ने कहा कि किसी भी नागरिक सेवा का आखिरी उद्देश्य इस देश की संविधान के मुताबिक सेवा करना है, जिसे देश के लोगों ने खुद अपने लिए बनाया है.
उन्होंने अपने भाषण में कहा कि हम सभी के लिए राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, हम सभी के लिए समानता और स्वतंत्रता तथा समान दर्जा एवं अवसर मुहैया करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. कोई भी धर्म अपनाने, आस्था और उपासना की स्वतंत्रता है. हमने व्यक्ति की गरिमा और इस महान देश की एकता एवं अखंडता सुनिश्चित की है.
मुखर्जी ने नये अधिकारियों को संविधान की प्रस्तावना में दिए इन महत्वपूर्ण आश्वासनों को अपने 30-35 साल या इससे अधिक की सेवा के दौरान लागू करने को कहा. राष्ट्रपति ने कहा कि आजादी के बाद जब भारत ने संसदीय लोकतंत्र का रास्ता चुना तब कई लोगों ने यह संदेह जताया था कि 18 प्रतिशत की साक्षरता वाला और अपनी खाद्य आपूर्ति के लिए आयात पर निर्भर रहने वाला यह देश संसदीय लोकतंत्र को कैसे लागू करेगा.
उन्होंने कहा, विभिन्न क्षमताओं में राष्ट्र की सेवा के लिए अपनी जिम्मेदारियों को कृपया याद करिए. मुखर्जी ने कहा कि आजादी के बाद उन सिविल सेवकों के भविष्य पर चर्चा छिड गई जिन्होंने औपनिवेशिक आकाओं की सेवा की थी. उन्होंने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने सिविल सेवकों को ‘बेहतरीन औजार- बताया था और कहा था कि यह राजनीतिक आकाओं पर निर्भर है कि वे सर्वश्रेष्ठ संभावित तरीके से उनका इस्तेमाल कैसे करते हैं.