नयी दिल्ली / आगरा : धर्म परिवर्तन मामले में एक नया खुलासा हुआ है. एबीपी न्यूज में दिखाई जा रही खबर की माने तो एक इसाई व्यक्ति को हिंदू धर्म से जोड़ने पर 2 लाख जबकि मुस्लिम व्यक्ति में 5 लाख का खर्च आता है. चैनल ने यह खबर धर्म जागरण मंच के एक पत्र के हवाले से चलायी है.
मामले पर गंभीरता दिखाते हुएउत्तर प्रदेश पुलिस ने धर्म जागरण मंच के कार्यालय में छापेमारी की है.धर्म परिवर्तन को लेकर सपा सरकार विरोधियों के निशाने पर है.
इस पत्र की माने तो एक इसाई व्यक्ति को धर्म परिवर्तन कराने मे 2 लाख जबकि एक मुस्लिम को ऐसा करवाने में 5 लाख का सालाना खर्च आता है. इस साल इस मंच का टारगेट एक लाख लोगों को हिंदू धर्म से जोड़ने का है. 25 दिसंबर को अलिगढ़ में आयोजित किए जा रहे कार्यक्रम में करीब 5 से 15 हजार लोगों का धर्म परिवर्तन करवाया जाना है.
इस संबंध में क्षेत्र प्रचारक राजेश्वर सिंह ने कहा कि हमारे पास धर्म परिवर्तन कराने का लाइसेंस नहीं है. जिनके पास ये सुविधा मौजूद है वे इन लोगों को हिंदू धर्म से जोड़ने का काम करते हैं हमारा मंच केवल ऐसे लोगों को सम्मानित करने का काम करता है. उन्होंने कहा कि 25 दिसंबर को ऐसा ही कार्यक्रम होने वाला है जिसके लिए हम चंदा इकट्ठा कर रहे हैं.
आरएसएस ने इस मामले पर कहा कि यह कार्यक्रम धर्म परिवर्तन के तहत नहीं है. यह घर वापसी का कार्यक्रम है.
इस मुद्दे पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुलतान अहमद ने बुधवार को कहा कि आगरा में कथित तौर पर लालच देकर लोगों का धर्मांतरण कराए जाने के मामले पर मोदी सरकार को जवाब देना चाहिए और उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि देश के अल्पसंख्यकों में सुरक्षा का भाव कायम रहे. पूर्व केंद्रीय मंत्री अहमद ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कभी लव जेहाद की बात होती है, कभी किसी मंत्री की तरफ से गाली-गलौज की भाषा बोली जाती है, कभी गिरजाघरों पर हमले होते हैं तो कभी लोगों को लालच देकर धर्मांतरण कराया जाता है. यह सारी घटनाएं केंद्र में नई सरकार के आने के बाद देखने को मिली हैं.’’