नयी दिल्ली : लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने 2जी घोटाले की जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष पद से पी सी चाको को हटाने की विपक्ष की मांग को आज खारिज कर दिया और इसके पीछे उन्होंने इस बारे में नियमों में स्पष्ट प्रावधान नहीं होने का हवाला दिया.
संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के सदस्यों को लिखे पत्र में मीरा कुमार ने कहा कि किसी संसदीय समिति के अध्यक्ष को हटाने को लेकर नियम और दिशानिर्देश मौन हैं. साथ ही उन्होंने जेपीसी अध्यक्ष और सदस्यों से आग्रह किया कि आपसी सहमति से समाधान तक पहुंचने की दिशा में काम करें और मौजूदा गतिरोध को समाप्त करके नियमों के मुताबिक रिपोर्ट को तैयार करें, स्वीकार करें और संसद के समक्ष रखें.
तीस सदस्यीय जेपीसी में भाजपा सहित विपक्ष के 15 सदस्यों ने स्पीकर को लिखित में अलग -अलग पत्र देकर जेपीसी अध्यक्ष चाको के प्रति अपना अविश्वास जताया था. सरकार के पूर्व सहयोगी द्रमुक और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने भी चाको को हटाने की मांग वाले अपने पत्र स्पीकर को सौंपे.
इन सदस्यों ने लोकसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया था कि चाको को तत्काल हटाकर उनकी जगह समिति के किसी अन्य सदस्य को जेपीसी का अध्यक्ष बनाया जाये.
विपक्षी सदस्यों के आरोपों पर पलटवार करते हुए समिति के कांग्रेसी सदस्यों ने भी स्पीकर को पत्र लिखकर विपक्ष की दलीलों का खंडन किया था. पत्रों में दिये गये तर्कों पर निराशा प्रकट करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने जेपीसी अध्यक्ष और सदस्यों से अपने आपसी मतभेद सुलझाने के लिए कहा.
उन्होंने कहा, एक दूसरे पर आरोप लगाकर संसद द्वारा जताये गये विश्वास का उल्लंघन किया गया है. इसलिए अध्यक्ष और सदस्यों के लिए जरुरी है कि वे अपने मतभेदों को सुलझा लें तथा संसद द्वारा दी गयी जिम्मेदारी के मुताबिक रिपोर्ट पेश करें.
मीरा कुमार ने कहा कि जेपीसी अध्यक्ष को हटाने के मुद्दे का मौजूदा नियमों और इस संबंध में सर्वश्रेष्ठ प्रणाली के मद्देनजर अध्ययन किया गया है. उन्होंने कहा, नियमों में स्पष्ट प्रावधान नहीं होने के कारण किसी संसदीय समिति के अध्यक्ष को हटाना कठिन होगा.
उन्होंने कहा, यह अलग बात है कि अध्यक्ष खुद अपने पद से इस्तीफा दे दें. स्पीकर ने कहा, उपरोक्त के मद्देनजर मैं जेपीसी के अध्यक्ष और सदस्यों से अनुरोध करती हूं कि मौजूदा गतिरोध को समाप्त करने के लिए आपसी सहमति वाले समाधान पर काम करें और नियमों के मुताबिक रिपोर्ट स्वीकार कर उसे संसद के समक्ष पेश करें.