नयी दिल्ली : अगर आपके मन में महिलाओं के प्रति सम्मान और गरिमा नहीं है, तो आने वाले समय में आपको सेना में नौकरी नहीं मिलेगी. सेना अपनी भर्ती प्रक्रि या में बदलाव करते हुए पहली बार मनोवैज्ञानिक परीक्षण को शामिल कर रही है. इसमें यह आंका जायेगा कि आवेदक के मन में महिलाओं की छवि कैसी है.
अगर यह पाया गया कि महिला के प्रति उसके मन में नकारात्मक विचार हैं, तो उसे सेना में नौकरी नहीं मिलेगी. इसका उद्देश्य सैन्यकर्मियों में महिलाओं के प्रति किसी भी संभावित नकारात्मकता को कम करने के साथ ही समाज में सेना को महिलाओं और लड़कियों के प्रति संवेदनशील बनाना है. सेना ने महिला अधिकारों के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से ‘प्रोजेक्ट गरिमा’ शुरू किया है.
जीरो टॉलरेंस पॉलिसी लागू : एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने कहा कि यह पहल इसलिए की जा रही है क्योंकि सेना में करीब 80 प्रतिशत जवान-अधिकारी ग्रामीण या अर्ध-शहरी पृष्ठभूमि से आते हैं. उनके मन में महिलाओं के प्रति हिंसक और भेदभावपूर्ण विचार रहे, तो इसका सेना के वातावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
हाल ही में महिलाओं के खिलाफ हुई हिंसा और दुष्कर्म की घटनाओं से भी सेना और सतर्क हो गयी है. सेना ने महिलाओं के प्रति नकारात्मकता को लेकर जीरो टॉलरेंस पॉलिसी लागू की है.
काउंसलिंग सेवा : उन्हें लिंग भेद के प्रति जागरूक किया जा रहा है. ताकि कोई भी सैन्यकर्मी सिर्फ लड़का ही चाहिए जैसी भावना से बाहर निकले. विशेष काउंसलिंग सेवा भी शुरू की जा रही है, जिससे वे समाज में महिलाओं के प्रति अभ्रद व्यवहार न अपनाएं.
सेना महिला अधिकारियों को रोल मॉडल के रूप में रख कर एक ऐसा माहौल तैयार करने की कोशिश कर रही है, जिसमें न केवल सैनिकों की बेटियां ऊंचे पदों पर पहुंचने के लिए प्रोत्साहित हों, बल्किस्वयं सैनिक भी शिक्षा देने में प्रेरित हों.