नयी दिल्ली : केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने उत्तराखंड की भयावह त्रसदी के समय गुजरात के मुख्यमंत्री के नरेंद्र मोदी की ओर से 15 हजार लोगों को बचाए जाने की खबरों को लेकर कटाक्ष करते हुए कहा है कि संकट की इस घड़ी में ‘आपदा पर्यटन’ (डिजास्टर टूरिज्म) पर गए किसी व्यक्ति को सस्ती लोकप्रियता हासिल करने से बचना चाहिए.
तिवारी ने आज यहां उर्दू अखबर ‘जदीद मरकज’ की ओर से आयोजित उर्दू अखबारों के संपादकों के सम्मेलन से इतर संवाददाताओं से कहा, ‘‘कल पूरे दिन केंद्र और राज्य सरकार की सभी एजेंसियों ने मिलकर 10 हजार लोगों को बचाया. अब ऐसे में एक व्यक्ति या कुछ शक्तियां आपदा पर्यटन (डिजास्टर टूरिज्म) पर जाएं और दावा करें कि हमीं रैम्बों हैं तथा हमने 15 हजार लोगों को बचा लिया, तो मेरा यह कहना है कि इस तरह की सस्ती लोकप्रियता से बचना चाहिए.’’मीडिया में आई खबरों के अनुसार मोदी और उनके लोगों ने उत्तराखंड की भयावह आपदा में फंसे 15 हजार लोगों को सुरक्षित बचाया है.
कार्यक्रम में शामिल कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने मोदी के उत्तराखंड दौरे को लेकर उन पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘सेना के जवान, उत्तराखंड पुलिस जवान और दूसरे लोग राहत एवं बचाव कार्य में लगे हैं. वहां हमारे हजारों तीर्थयात्री फंसे हुए हैं. ऐसे समय में हमारे जवानों को काम करने का मौका दें. मेरा कहना है कि इस त्रसदी और लोगों की लाशों पर राजनीति बंद होनी चाहिए.’’तिवारी ने पठानकोट में मोदी की सभा को लेकर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘साल 2009 में राजग की मेरे संसदीय क्षेत्र लुधियाना में रैली हुई थी. उसके बाद लुधियाना की जनता ने इन्हें ठुकरा दिया. इस बार ये पठानकोट जा रहे हैं. मेरा कहना है कि इनके पतन की शुरुआत पठानकोट से होगी.’’
इससे पहले उर्दू अखबारों के संपादकों के सम्मेलन में संबोधन के दौरान भी तिवारी ने मोदी का नाम लिए बगैर उन पर कटाक्ष किया. सूचना प्रसारण मंत्री ने कहा, ‘‘एक ऐसा व्यक्ति है जो देश में सांप्रदायिक राजनीति को आगे बढ़ा रहा है. खुद से अपनी पीठ थपथपा रहा है. सत्ता के लालच की वजह से ऐसा हो रहा है. देश में सांप्रदायिक शक्तियों से सभी को लड़ने की जरुरत है.’’ उन्होंने राजग से जदयू के अलग होने का हवाला देते हुए कहा, ‘‘बिहार के घटनाक्रम से साफ हो गया है कि देश में सांप्रदायिक और धर्मनिरपेक्ष दो धाराएं चल रही हैं. सांप्रदायिकता की वजह से ही 17 साल पुराना गठबंधन टूटा.
मैं धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दलों से अपील करता हूं कि भारत के भविष्य के बारे में सोचने की जरुरत है.’’ देश में तीसरे मोर्चे की चर्चा को मिथ्या करार देते हुए तिवारी ने कहा, ‘‘देश में तीसरे मोर्चा या चौथे मोर्चा की बात पूरी तरह से मिथ्या है. यह कभी सफल नहीं हुआ और कभी होगा भी नहीं.’’ इस मौके पर उन्होंने उर्दू भाषा को बढ़ावा दिए जाने की पैरवी की और कहा, ‘‘उर्दू अखबारों के संपादकों की जो चिंताएं हैं उसके बारे में हम विचार करेंगे. डीएवीपी की ओर से विज्ञापन देने के मानकों को लेकर एक समिति बनाई गई है और आप लोगों को उसके समक्ष अपने सुझाव रखने चाहिए. आईआईएमसी के निदेशक से मैं बात करुंगा कि वहां उर्दू तथा दूसरी क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्यक्रम शुरु करने के लिए क्या किया जा सकता है.’’