चेन्नई : आय से अधिक संपत्ति के मामले में बेंगलूर की एक विशेष अदालत ने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता को चार साल की सजा सुनाई है. उनपर 100 करोड का जुर्माना भी लगाया गया है. वह फिलहाल बेंगलूर की जेल में रहेंगी. दोषी करार दी गई जयललिता अबतक एक दर्जन से ज्यादा मुकदमे लड चुकी हैं.
इनमें से ज्यादातर मामलों में उन्हें बरी किया जा चुका है. आय से अधिक संपत्ति के मामले में सजा मिलने के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ेगा. इससे पहले भी जयललिता को 21 सितंबर 2001 को उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पडा था.
न्यायालय ने तत्कालीन राज्यपाल एम फातिमा बीवी द्वारा की गई जयललिता की नियुक्ति इस वजह से रद्द कर दी थी क्योंकि उन्हें तानसी जमीन करार मामले में दोषी करार दिया गया था.जयललिता को दोषी ठहराए जाने से जनप्रतिनिधित्व कानून के वे प्रावधान लागू हुए थे जिससे किसी को चुनाव लडने के अयोग्य करार दिया जाता है. चेन्नई की एक अदालत द्वारा नौ अक्तूबर 2000 को तानसी जमीन करार मामले में सुनाई गई सजा की वजह से जयललिता 2001 में चुनाव नहीं लड सकीं. हालांकि, इस मामले में बाद में उन्हें मद्रास उच्च न्यायालय ने बरी कर दिया था. उच्चतम न्यायालय ने नवंबर 2003 में जयललिता को बरी करने का उच्च न्यायालय का फैसला बरकरार रखा था.
चेन्नई की विशेष अदालत ने जया प्रकाशन मामले में जयललिता और उनकी सहयोगी शशिकला को तीन साल जबकि शशि एंटरप्राइजेज मामले में दो साल जेल की सजा सुनाई थी. दोनों मामले तानसी जमीन करार से जुडे थे. इसके बाद जब 2001 विधानसभा चुनाव में जयललिता ने अंदिपट्टी सहित चार विधानसभा क्षेत्रों से नामांकन दाखिल किया तो सभी को खारिज कर दिया गया.
अन्नाद्रमुक ने चुनाव प्रचार के दौरान इसे बडा मुद्दा बनाया और वह उन 140 में से 132 सीटों पर विजयी हुई जिन पर उसने चुनाव लडा. बाद में 14 मई 2001 को जब तत्कालीन राज्यपाल फातिमा बीवी ने जयललिता को मुख्यमंत्री नियुक्त किया तो यह मामला उच्चतम न्यायालय तक पहुंचा और अन्नाद्रमुक नेता को पद से इस्तीफा देना पडा.
द्रमुक के 1996 से 2001 तक के शासनकाल में जयललिता के खिलाफ दायर 14 मामलों में से अन्नाद्रमुक प्रमुख को तानसी मामले सहित कई मामलों में बरी कर दिया गया.
‘प्लीजेंट स्टे’ होटल मामले में मद्रास उच्च न्यायालय ने चार दिसंबर 2001 को उन्हें बरी किया था. यह मामला पारिस्थितिकीय तौर पर अहम कोडाइकनाल में एक होटल निर्माण को जयललिता द्वारा कथित मंजूरी दिए जाने से जुडा था. जयललिता पर आरोप था कि उन्होंने सरकारी नियमों को ताक पर रखकर होटल के निर्माण को मंजूरी दी थी. एक विशेष अदालत ने दो फरवरी 2000 को जयललिता को दोषी करार देकर इस मामले में एक-एक साल की दो अलग-अलग सजाएं सुनाई थीं लेकिन दोनों सजा एक ही साथ चलनी थी.
कलर टीवी मामले में भी जयललिता को बरी किया गया था. साल 1996 में सत्ता गंवाने के बाद उन्हें इस मामले में गिरफ्तार कर लिया गया था. 30 मई 2000 को एक विशेष अदालत ने उन्हें बरी कर दिया और मद्रास उच्च न्यायालय ने 21 अगस्त 2009 को इस फैसले को बरकरार रखा. करीब 28.28 करोड रुपए के स्पिक विनिवेश मामले में एक विशेष अदालत ने 23 जनवरी 2004 को जयललिता को बरी कर दिया था.
कोयला आयात करार मामले में एक विशेष अदालत ने 1999 में जयललिता को आरोप-मुक्त कर दिया था. उच्च न्यायालय ने भी इस फैसले को बरकरार रखा था. लेकिन अपील पर उच्चतम न्यायालय ने उन्हें आरोप-मुक्त करने का फैसला खारिज कर दिया और फिर से मुकदमे की सुनवाई का आदेश दिया. 27 दिसंबर 2001 को एक विशेष अदालत ने एक बार फिर उन्हें बरी कर दिया.
‘लंदन होटल’ का मामला जहां उच्चतम न्यायालय की सहमति से वापस ले लिया गया, वहीं 30 सितंबर 2011 को मद्रास उच्च न्यायालय ने तीन लाख अमेरिकी डॉलर के तोहफे के मामले में कार्यवाही निरस्त कर दी. बाद में सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय में एक अपील दाखिल की थी.
आयकर रिटर्न मामले में चेन्नई की अतिरिक्त मुख्यमेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में कार्यवाही लंबित है. इस मामले में जयललिता और उनकी सहयोगी शशिकला ने आयकर अधिकारियों के समक्ष भी एक याचिका दायर कर रखी है जिस पर फैसला आना बाकी है.