मेरठ: निठारी हत्या कांड के दोषी सुरीन्दर कोली को फांसी देने का समय निकट आने के साथ ही मेरठ जेल के जल्लाद की खोज-पूछ बढ गयी है. वह अपनी पहली फांसी की तैयारियों में लगा हुआ है. इस फांसी से पहले जल्लाद पवन सिंह की एक बाइट के लिए मीडियाकर्मी सुबह से शाम तक उसके घर के सामने डेरा डाले हुए हैं.
पवन जल्लाद के लिए यह लोकप्रियता और शोहरत कोई नई बात नहीं है क्योंकि वह एक ऐसे परिवार से आता है जिसने जल्लाद के रुप में कई मशहूर अपराधियों को फांसी दी है. पवन के दादा कल्लु ने अपहरण और बलात्कार मामले के दोषी कुख्यात अपराधियों रंगा, बिल्ला को 1982 में तथा इंदिरा गांधी हत्या कांड के दोषियों केहर सिंह और सतवंत सिंह को 1986 में फांसी दी थी. कल्लु ने कुल 12 कुख्यात अपराधियों को फांसी दी थी.
पवन के पिता माम्मू सिंह भी मेरठ जेल के जल्लाद थे लेकिन जेल अधिकारियों के अनुसार उन्होंने कभी किसी अपराधी को फांसी नहीं दी. माम्मू ने 26/11 के आतंकवादी अजमल कसाब और 2001 में संसद पर हुए हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी के लिए रस्सी तैयार की थी लेकिन दोनों को फांसी पर लटकाने से पहले ही बीमारी के कारण उसकी मौत हो गयी. अपने पिता के बाद पवन को आशा थी कि दोनों अपराधियों को फांसी देने का अवसर उसे मिलेगा लेकिन दोनों अपराधियों को बेहद गोपनीय तरीके से फांसी दी गयी.
रिम्पा हल्दर (2005) हत्या कांड में निचली अदालत ने सुरिन्दर कोली को मौत की सजा सुनायी जिसे बाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय और फिर 15 फरवरी 2011 को उच्चतम न्यायालय ने भी उसपर मुहर लगा दी.
गाजियाबाद के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अतुल कुमार गुप्ता ने बुधवार को वारंट जारी किया कि 42 वर्षीय सुरिन्दर कोली की मौत होने तक उसे फांसी पर लटकाया जाए. निठारी हत्या कांड का दोषी कोली सभी न्यायिक विकल्प खंगाल चुका है. कोली को चार अन्य मामलों में भी मौत की सजा सुनायी गयी है जबकि हत्या के 11 मामले अभी चल रहे हैं.
दिसंबर 2006 में लापता हुई एक बच्ची का शव मिला जिसकी कोली ने हत्या कर दी थी. इसी घटना के बाद रिम्पा हल्दर हत्या कांड सामने आया. जांच के दौरान और भी कई बच्चों की विभत्स तरीके से हत्या किए जाने की बात सामने आयी और उन सभी के कंकाल उत्तर प्रदेश के नोएडा के निठारी इलाके में स्थित एक मकान के सामने नाले से मिले. कोली इसी मकान में नौकर था. इस पूरे मामले को मीडिया में काफी कवरेज मिला जिसके कारण यह हाई-प्रोफाइल बन गया.