मुंबई : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने आज कहा कि विकेंद्रित और पारंपरिक जल संरक्षण उपायों को अपना करके आने वाले वर्षो में प्रदेश को सूखा मुक्त बनना उनकी प्राथमिकता होगी.
चव्हाण ने कहा, सीमेंट वाला बांध बनाने, कृषि तालाब तैयार करने, गन्ने की फसल के लिए पानी के हरएक बूंद का उपयोग करके सिंचाई ( ड्रिप इरिगेशन ) करने, तालुका स्तर पर चारा प्रबंधन समेत कई अन्य पहल करने की जरुरत है.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने केंद्र से 10 हजार करोड़ रुपये प्राप्त होने की उम्मीद जतायी जिसमें से 3 हजार करोड़ रुपये पारंपरिक जल संरक्षण उपायों पर खर्च किये जायेंगे.
उन्होंने कहा कि इस वर्ष सूखा राहत के लिए काफी कोष जारी किये गए हैं जिसमें से करीब 900 करोड़ रुपये महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत खर्च किये गए.
सूखा प्रभावित जिलों के 15 तालुका में सीमेंट वाला बांध बनाया गया है जिस पर 800 करोड़ रुपये से 900 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.
उन्होंने कहा, 1350 पशु शिविरों में 9.80 लाख जानवार हैं. इस संबंध में 5000 पानी के टैंकर सेवा में लगे हुए हैं. हमें पशु शिविर स्थापित करने और जल आपूर्ति के लिए टैंकर लगाने पर आने वाले व्यर्थ खर्च से बचना चाहिए.