नयी दिल्ली: वरिष्ठ वकील इंदिरा जंयसिंह के दोषियों को माफ कर देने वाले बयान पर निर्भया की मां आशा देवी की प्रतिक्रिया सामने आयी है. आशा देवी ने इंदिरा जयसिंह के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि दोषियों को माफ कर देने की सलाह देने वाली इंदिरा जयसिंह कौन होती हैं? आशा देवी ने कहा कि, पूरा देश चाहता है दोषियों को फांसी होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इंदिरा जयसिंह जैसे लोगों की वजह से ही बलात्कार पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाता और बलात्कारियों का मन बढ़ जाता है.
Asha Devi: Can't believe how Indira Jaising even dared to suggest such this. I met her many times over the years in Supreme Court,not once she asked for my wellbeing& today she is speaking for convicts.Such ppl earn livelihood by supporting rapists,hence rape incidents don't stop https://t.co/Gjf02l9LT4 pic.twitter.com/Rl3sMbppl5
— ANI (@ANI) January 18, 2020
फांसी टलने पर आशा देवी ने जताई थी नाराजगी
दरअसल दिल्ली गैंगरेप मामले में सजायक्ता दोषियों की फांसी टलने को लेकर निर्भया की मां आशा देवी ने नाराजगी जताई थी. इसके बाद वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने एक ट्वीट में निर्भया की मां आशा देवी से आग्रह किया था कि वो 2012 दिल्ली गैंगरेप के आरोपियों को माफ कर दें.
Advocate Indira Jaising urges Nirbhaya's mother to follow Sonia Gandhi's example, forgive convicts
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— ANI Digital (@ani_digital) January 18, 2020
इंदिरा जयसिंह ने ट्वीट में कहा है कि मैं आशा देवी के दर्द को समझ सकती हूं. लेकिन मैं आशा देवी से आग्रह करती हूं कि वो सोनिया गांधी की तरह उदाहरण पेश करें जिन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में सजायक्ता नलिनी को माफ कर दिया था. उन्होंने आशा देवी को संबोधित करते हुए कहा कि हम आपके साथ हैं लेकिन फांसी की सजा के खिलाफ हैं.
अब 1 फरवरी को दी जाएगी दोषियों को फांसी
बता दें कि शुक्रवार यानी 17 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिल्ली गैंगरेप केस के चारों दोषियों में से एक मुकेश सिंह की दया याचिका को ठुकरा दिया था. कल मामले में सुनवाई हुई और चारों दोषियों के लिए नया डेथ वारंट जारी किया गया. अब उन्हें 1 फरवरी को सुबह छह बजे फांसी दी जाएगी.
इसके पहले 7 जनवरी को जारी डेथ वारंट के मुताबिक उन्हें 22 जनवरी को फांसी दी जानी थी. लेकिन दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल कर दिया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को ये कहते हुए खारिज कर दिया कि, इसमें कोई भी ऐसा नया तथ्य नहीं है जिसकी बदौलत सुनवाई की जा सके.
इसके बाद चारों दोषियों में से मुकेश सिंह ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर कर दी. तर्क दिया कि उन्हें तब तक फांसी नहीं दी जा सकती जब तक याचिका पर फैसला नहीं आ जाता. नियम के मुताबिक राष्ट्रपति द्वारा याचिका खारिज किए जाने के बाद नया डेथ वारंट जारी किया जाना था. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 17 जनवरी को मुकेश सिंह की दया याचिका खारिज कर दी. स्थानीय अदालत ने फिर नया डेथ वारंट जारी किया.