नयी दिल्ली: नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) मेडिकल की पढ़ाई की क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाने के मूड में है. एनएमसी ने एमबीबीएस के फाइनल इयर में एग्जिट एग्जाम कराने की सिफारिश की है. इसका मतलब कि मेडिकल स्टूडेंट्स को पीजी में दाखिले के लिये नीट नहीं देना होगा. फिर सवाल उठता है कि फिर एग्जिट एग्जाम फेल हो जाने वाले स्टूडेंट्स का क्या होगा. फिलहाल सिफारिश से संबंधित जो बिल दिया गया है उसमें इसका कहीं जिक्र नहीं है. जानकारों का कहना है कि हो सकता है कि एग्जिट टेस्ट में फेल होने वाले स्टूडेंट्स को सप्लीमेंट्री कैटेगरी में रखा जाए.
इसके अलावा प्रावधान है कि मेडिकल यूजी करने वाले छात्रों के लिये नेशनल लेवल पर एक ही परीक्षा से आंका जाएगा, ताकि मेडिकल फिल्ड में अच्छे डॉक्टर्स मिल सकें. एग्जिट टेस्ट में सामान्य वर्ग के स्टूडेंट्स 50 फीसदी और रिजर्व कोटा के स्टूडेंट्स को 40 फीसदी अंक लाना होगा. पहले ये परसेंटाइल पर आधारित होता था लेकिन अब ये व्यवस्था हटने से क्वालिटी स्टूडेंट्स ही आगे आ पायेंगे.
सवाल है कि इन अहम बदलावों की जरूरत क्यों महसूस की गयी. गौरतलब है कि, पीजी नीट क्वालीफाई इसबार 15वीं परसेंटाइल तक हुआ, इसलिए एनएमसी ने फाइनल इयर एग्जिट टेस्ट शुरू कराने की सिफारिश की गयी. इससे पहले एमबीबीएस कॉलेज हर साल अपने लेवल पर एग्जाम कंडक्ट कराता है. इससे स्टूडेंट्स के लिये एग्जाम पास करना आसान है. अब एग्जिट एग्जाम कंडक्ट कराने से नेशनल लेवल पर यूजी मेडिकल स्टूडेंट्स के लिये एक ही पैमाना बनाया जा सकेगा.
इंटर्नशिप के लिये भी कड़ा होगा नियम: देखा जाय तो अब तक मेडिकल स्टूडेंट्स को एमबीबीएस के फाइनल एग्जाम के बाद एक साल का इंटर्नशिप करना होता था. फिर वे नीट देने के बाद पीजी में दाखिला मिलता था. ऐसी स्थिति में स्टूडेंट्स इंटर्नशिप को गंभीरता से नहीं लेते थे. अब एग्जिट टेस्ट के बाद स्टूडेंट्स को पहले ही पीजी में दाखिला मिल जायेगा. और इंटर्नशिप को गंभीरता से पूरा करेंगे. ऐसी स्थिति में देश को बेहतर प्रशिक्षित डॉक्टर मिल सकेंगे. रांची के रिम्स में इंटर्नशिप के दौरान पहले 18,000 रुपये मिलते थे, जिसे बढ़ाकर 23500 रुपये कर दिया गया.
नेशनल मेडिकल कमीशन की सिफारिश को लेकर जानकारों में फिलहाल मतभिन्नता है. कई जगहों पर मेडिकल स्टूडेंट्स इसका विरोध भी कर रहे हैं. जानकारों के मुताबिक आशंका इस बात की है कि, क्या तार्किक स्तर पर ये संभव है.