बेंगलुरु : कर्नाटक में संकट में घिरी कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन सरकार को ताजा झटका देते हुए कांग्रेस के दो विधायकों आवास मंत्री एम टी बी नागराज और के. सुधाकर ने बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया जिससे असंतुष्ट विधायकों की संख्या बढ़कर 16 हो गयी है.
अगर विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाता है तो सत्तारूढ़ गठबंधन को सदन में बहुमत खोने की आशंका है क्योंकि अभी 224 सदस्यीय सदन में उसके विधायकों की संख्या 116 है. इन इस्तीफों के मिलने की पुष्टि करते हुए विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने पत्रकारों से कहा, जी हां, सुधाकर और एम. टी. बी. नागराज ने इस्तीफा दे दिया है.
उन्होंने बताया कि विधायकों ने राज्य सचिवालय के विधान सौध में विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष में अपना इस्तीफा सौंपा. इस्तीफा सौंपने के बाद नागराज ने पत्रकारों से कहा कि वह राजनीति से ‘निराश’ हो चुके हैं और सार्वजनिक जीवन से संन्यास लेना चाहते हैं.
नागराज ने कहा, ‘मैं कोई मंत्री पद या कुछ नहीं चाहता. मैं राजनीति से निराश हो गया हूं.’ नागराज और सुधाकर शाम करीब चार बजे विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय पहुंचे और अपने आधिकारिक लेटरहेड पर लिखा अपना इस्तीफा उन्हें सौंपा.
सुधाकर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष हैं. इस्तीफा देने वाले 16 विधायकों में से 13 कांग्रेस से और तीन जदएस से हैं. विधानसभा अध्यक्ष के अलावा गठबंधन के पास 116 विधायक (कांग्रेस – 78, जदएस – 37 और बसपा – 1) हैं.
सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार से इनके अलावा दो निर्दलीय विधायकों ने भी सोमवार को मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया था. इस्तीफा देने वाले इन निर्दलीय विधायकों के समर्थन से अब भाजपा के पास 224 सदस्यीय विधानसभा में 107 विधायक हैं, जबकि बहुमत के लिये 113 का आंकड़ा चाहिए. अगर इन 16 विधायकों का इस्तीफा स्वीकृत कर लिया जाता है तो गठबंधन का आंकड़ा घट कर 100 हो जायेगा.
इस बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी कर्नाटक विधानसभा में शक्ति परीक्षण सहित वहां के राज्यपाल के किसी भी संवैधानिक निर्देश का पालन करने के लिए तैयार है.
इधर इस पूरे प्रकरण पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने भाजपा पर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, मैनहैंडलिंग मंत्री और विधायक मुंबई पुलिस से बहुत परेशान हैं. महाराष्ट्र सरकार द्वारा इस तरह के जल्दबाजी में काम करने से भाजपा पर संदेह मजबूत होता है. यह हमारे देश के गणतंत्र पर एक काला धब्बा है.
वहीं कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने कहा, मैंने कोई इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है, मैं रात भर ऐसा नहीं कर सकता. मैंने उन्हें 17 तारीख तक का समय दिया है. मैं पूरी प्रक्रिया से गुजरूंगा और उसके बाद फैसला लूंगा.
दरअसल, राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन सरकार दर्जन भर से अधिक विधायकों के इस्तीफे के बाद गिरने के कगार पर पहुंच गई है. राज्य सरकार कांग्रेस के 11 और जद (एस) के तीन विधायकों के इस्तीफे के बाद संकट में घिर गई है. साथ ही, दो निर्दलीय विधायकों ने भी गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है.
यदि इन विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए जाते हैं तो गठबंधन के विधायकों की संख्या 224 सदस्यीय विधानसभा में घट कर 102 रह जाएगी. गौड़ा ने यहां उर्वरक मंत्रालय के एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से कहा, उनकी(विधायकों की) संख्या घट कर 102 रह गई है.
हमारे पास 107 विधायक हैं. मुझे लगता है कि जहां तक लोकतंत्र की बात है 51 का मतलब 100 होता है और 49 का अर्थ शून्य होता है. निश्चित तौर पर हम सही राह पर हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या पार्टी सदन में शक्ति परीक्षण के लिए तैयार है, तो उन्होंने कहा, सदन में शक्ति परीक्षण के लिए निर्देश जारी करना राज्यपाल का विशेषाधिकार है.
राज्यपाल के किसी भी संवैधानिक निर्देश का पालन करने के लिए हम निश्चित तौर पर तैयार हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा कर्नाटक सरकार को अस्थिर नहीं कर रही है. उन्होंने कहा, यदि वे लोग अपना घर (पार्टी) दुरूस्त रखने में सक्षम नहीं हैं तो हम पर आरोप क्यों लगाते हैं? यह कांग्रेस और जद(एस) की जिम्मेदारी है कि वे अपने विधायकों को एकजुट रखें.
गौड़ा ने कहा कि कर्नाटक में भाजपा के 105 विधायक हैं. ‘ये सभी एकजुट हैं और कोई भी बाहर नहीं जा रहा. उन्होंने इस आरोप को खारिज कर दिया कि उनकी पार्टी गठबंधन के विधायकों को अपने पाले में करने के लिए प्रलोभन दे रही है. उन्होंने यह भी कहा कि दो निर्दलीय विधायकों ने भी अपने आप ही भाजपा को अपना समर्थन दिया है.
उन्होंने कहा, इस्तीफे के बाद यदि कोई विधायक भाजपा से बात करना चाहता है तो यह क्यों कहा जा रहा है कि हमें किसी से बात नहीं करनी चाहिए. वे (बागी विधायक) अब कांग्रेस या जद(एस) के सदस्य नहीं हैं. उन्होंने इस्तीफा दे दिया है… हर किसी को किसी से भी बात करने की स्वतंत्रता है.
उन्होंने कहा, यह पूरी तरह से गलत है कि भाजपा राज्य सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा, उनकी अंदरुनी कलह और अपने नेताओं के प्रति नाराजगी के चलते यह (संकट) पैदा हुआ.