नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को एक मामले में सुनवाई के दौरान अटाॅर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के खिलाफ एक वकील की टिप्पणी से नाराज होकर उन्हें (वकील को) अदालत से बाहर कर देने की चेतावनी दी.
दरअसल, वकील ने वेणुगोपाल के खिलाफ यह टिप्पणी की कि शीर्ष न्यायालय में ‘फिक्सिंग’ के उनके (वकील के) दावे पर सुनवाई के दौरान वह (वेणुगोपाल) उन्हें व्यक्तिगत तौर पर निशाना बना रहे हैं. न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की एक विशेष पीठ ने वकील उत्सव सिंह बैंस से कहा कि वेणुगोपाल ‘बार’ के सर्वाधिक सम्मानित सदस्यों में एक हैं और उन्हें भी उनका आदर करना चाहिए. बैंस ने न्यायालय में एक हलफनामा दाखिल कर आरोप लगाया है कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को फंसाने के लिए एक बड़ी साजिश रची गयी है. पीठ में न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता भी शामिल हैं. पीठ ने कहा, आप (बैंस) को यह अवश्य जानना चाहिए कि हम उनसे (वेणुगोपाल से) सीखते हैं. आपको उनका अवश्य ही आदर करना चाहिए.
बैंस ने दोहराया कि वेणुगोपाल उन पर व्यक्तिगत हमला कर रहे हैं, इस पर न्यायमूर्ति नरीमन खीझ गये और कहा, आपको उन पर कहीं से भी संदेह नहीं करना चाहिए. वह कभी भी किसी पर व्यक्तिगत हमला नहीं करते. उन्होंने वकील से कहा, …अन्यथा हम आपको अदालत से बाहर कर देंगे. इसके कुछ ही मिनट बाद बैंस ने कहा, चूंकि न्यायमूर्ति नरीमन ने कहा है कि वह मुझे बाहर कर देंगे, मैं खुद ही अदालत से बाहर चला जाता हूं. हालांकि, न्यायमूर्ति मिश्रा ने बैंस को शांत करने की कोशिश करते हुए कहा कि न्यायमूर्ति नरीमन का यह मतलब था कि उन्हें (बैंस को) अटाॅर्नी जनरल का आदर करना चाहिए. न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, किसी भी चीज को दिल पर मत लीजिये. न्यायमूर्ति नरीमन ने आपको विनम्र होने की सलाह दी है. उनका यह मतलब नहीं है कि आपको सचमुच में (अदालत से) बाहर कर दिया जायेगा. आप एक महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं.
सुनवाई के दौरान पीठ ने हलफनामे और बैंस द्वारा पेश की गई सामग्री पर गंभीरता से गौर किया तथा कहा कि वह इसकी जांच करेगी और सीजेआई को फंसाने की कथित साजिश के बारे में सच्चाई का पता लगाने के लिए तह तक जायेगी. गौरतलब है कि सीजेआई रंजन गोगोई उच्चतम न्यायालय की एक पूर्व कर्मचारी द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे हैं.