नयी दिल्ली : भारत में मानव सभ्यता के विकास पर एक नयी किताब आयी है जिसमें विस्तार से इसपर चर्चा की गयी है. ‘‘अर्ली इंडियंस: द स्टोरी ऑफ अवर एन्सेस्टर्स एंड व्हेयर वी केम फ्रॉम’ नाम की पुस्तक में कहा गया है कि भारतीय जनसंख्या प्रागैतिहासिक काल में हुए चार प्रमुख विस्थापनों का नतीजा है. इन विस्थापनों में आर्यों का भारत आगमन भी शामिल है. ‘‘अर्ली इंडियंस: द स्टोरी ऑफ अवर एन्सेस्टर्स एंड व्हेयर वी केम फ्रॉम’ नाम की पुस्तक में इन बातों पर गौर किया गया है कि भारत में आधुनिक मानव सबसे पहले कब और कैसे आये. इस किताब में इसकी भी चर्चा की गई है कि उन्होंने क्या सबूत छोड़े, आज उनके वंशज कौन हैं, भारत में उनके बाद कौन कौन आया.
इस किताब के दायरे में इन प्रश्नों को भी रखा गया है कि भारत में कब और कैसे कृषि शुरू हुई और यह विश्व की सबसे बड़ी सभ्यता कैसे बनी, इस सभ्यता का पतन कब और कैसे हुआ और इसके बाद क्या क्या हुआ. पत्रकार टोनी जोसफ ने प्राचीन डीएनए की मदद से हालिया आनुवंशिक अध्ययन तथा पुरातत्व विज्ञान और भाषा विज्ञान के आधार पर लिखा कि मध्य एशिया से आर्यों के विस्थापन सहित ये विस्थापन वैश्विक जनसंख्या आवागमन का हिस्सा थे जिनका असर न केवल भारत बल्कि एशिया तथा यूरोप के कई अन्य क्षेत्रों पर हुआ. भारत में पहला आधुनिक मानव करीब 65 हजार साल पहले आया जब अफ्रीका के निवासी इस महाद्वीप से बाहर जाकर रहने लगे. इस पुस्तक में इन लोगों को ‘‘प्रथम भारतीय’ कहा गया.
इनसे आनुवंशिक रूप से जुड़े लोगों का अब भी भारतीय जनसंख्या पर दबदबा है और यह आज की 50-65 प्रतिशत जनसंख्या के करीब है. दूसरा बड़ा विस्थापन नौ हजार से पांच हजार साल पहले हुआ जब ईरान के जागरोस क्षेत्र के कृषक भारत के उत्तरपश्चिम भाग में आकर ‘प्रथम भारतीयों’ के साथ मिलकर रहने लगे और उन्होंने खेती से जुड़े परीक्षणों को तेज करने में मदद की. इसका नतीजा यह हुआ कि उत्तरपश्चिम क्षेत्र में विशेष रूप से जौ और गेहूं की खेती तेजी से फैली जिसने हड़प्पा सभ्यता की नींव रखी. इस सभ्यता का परिपक्व चरण 2600 ईपू से 1900 ईपू तक चला. यानी हड़प्पा सभ्यता जागरोस कृषकों और ‘प्रथम भारतीयों’ का मिश्रण थी.