नयी दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने यहां एक नाबालिग लडकी पर यौन हमले के जुर्म में 19 वर्षीय युवक को कम सजा सुनाते हुए 3 साल की कैद की सजा सुनायी है. अदालत ने इस तथ्य का विशेष रुप से उल्लेख किया कि दोषी और पीडिता के बीच पूर्व में कुछ निकटता थीं.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पवन कुमार जैन ने हालांकि, दोषी को अच्छे आचरण की परिवीक्षा पर रिहा करने से इनकार कर दिया और कहा कि ऐसा करने पर ‘‘न्यूनतम सजा देने का कानून का उद्देश्य व्यर्थ हो जाएगा.’’ अदालत ने प्रताप नगर में 15 जनवरी 2013 को एक सरकारी स्कूल की 11वीं की छात्र पर हुए यौन हमले के मामले में दिल्ली निवासी मनीष को कम सजा सुना.दोषी पर यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोस्को) कानून की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था.
न्यायाधीश ने दोषी पर 2,000 रुपये का जुर्माना लगाते हुए कहा, ‘‘गैर विवादित रुप से, दोषी 19 साल से उपर की उम्र का एक युवा लडका है और पूर्व में उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. मुकदमे के दौरान यह भी साबित हुआ कि दोषी और पीडिता के बीच कुछ नजदीकियां..मित्रता थी..इन गंभीर कारकों के मद्देनजर मुङो अतिरक्त सरकारी वकील के अधिकतम सजा के तर्क में कोई दम नजर नहीं आता.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, समानांतर रुप से, यह भी एक गैर विवादित तथ्य है कि पोस्को कानून की धारा 8 के तहत अपराध के लिए तीन साल की न्यूनतम सजा का प्रावधान रखा गया है. इसलिए, यदि दोषी को अच्छे आचरण की परिवीक्षा पर छोडा जाए तो..न्यूनतम सजा उपलब्ध कराने का कानून का उद्देश्य व्यर्थ हो जाएगा.’’