नयी दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को भाजपा सांसदों को सुशासन का पाठ पढ़ाया. आत्मसंतोष से बचने और कड़ी मेहनत की नसीहत देने के साथ ही ‘चापलूसी की संस्कृति’ पर प्रहार किया. अपने सांसदों से दो टूक कहा कि वे किसी नेता के पैर छूने की आदत समेत इस तरह की किसी भी आदत से बचें.
संसद के केंद्रीय कक्ष में 20 मिनट के अपने भाषण में मोदी ने सांसदों से कहा कि वे लोकतंत्र के मंदिर में अपने कौशल को बढ़ाकर जानकारी के साथ आएं. मोदी का इशारा उन नये सांसदों की ओर था, जो उनसे मिलने पर उनके पैर छू रहे थे.
पार्टी सांसदों को आग्रह करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वे जमीनी स्तर पर जुड़े रहें, क्योंकि पार्टी अब सत्ता में है. क्षेत्र में सरकार का संदेश ले जाने जिम्मेदारी अब सदस्यों की है. सदन की कार्यवाही सुचारु रूप से चलाने में मदद करने के साथ ही सभी सत्रों में पूर्णकालिक रूप से उपस्थित रहना चाहिए. सांसदों से कहा कि वे सदन में चर्चाओं में शामिल होने से पहले जानकारी के साथ आएं. होमवर्क ठीक से करें. इससे विभिन्न मुद्दों पर सीखने को मिलेगा. इसके साथ ही कोई सदस्य पार्टी के प्रवक्ता के रूप में मीडिया से बात ना करें बल्कि मीडिया के सामने अपने संसदीय क्षेत्र के मुद्दे उठाएं.
सुझाव
-जनता के बीच जाएं, करें संवाद
-संसद में पूरी जानकारी के साथ व पूरे सत्र में रहें मौजूद
-मीडिया के समक्ष बतौर प्रवक्ता नहीं, क्षेत्र के मुद्दे उठाएं
-सत्ता में हैं, जिम्मेदारियों को करें महसूस
निर्देश के पीछे कारण !
गांधी परिवार (सोनिया-राहुल) के आसपास कथित चापलूसों की फौज को लेकर कांग्रेस अकसर भाजपा के निशाने पर रही है. राजनीतिक परिवारों द्वारा संचालित कुछ क्षेत्रीय दलों के मामले में भी पैर छूने और चापलूसी की परंपरा रही है. मोदी ने इससे अलग अपने सांसदों को यह निर्देश दिया.
आडवाणी व राजनाथ बोले
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने भी भाजपा सांसदों से कहा कि वे आम आदमी के कल्याण के लिए काम करना जारी रखें, जो कुछ मिला है, उसे और मजबूत करें. भाजपा अध्यक्ष एवं गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी पार्टी के नये सांसदों का स्वागत करते हुए कहा कि वे पार्टी की आगे सफलता के लिए कड़ी मेहनत करें.