नयी दिल्ली : केंद्र ने शुक्रवार को दावा किया कि सेवा से संबंधित मामलों में कोई अंतिम राय बनाना कानून के विरुद्ध होगा क्योंकि यह मुद्दा उच्चतम न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है. इससे पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार एवं उपराज्यपाल ने इस बारे में शीर्ष अदालत के आदेश का पालन करने से इनकार कर दिया.
गृह मंत्रालय ने एक बयान में इस बात से इनकार किया कि उसने दिल्ली सरकार के अधिकारों से संबंधित उच्चतम न्यायालय के आदेश की अनदेखी करने की उपराज्यपाल को सलाह दी है. इसने कहा कि यह धारणा भाम्रक है कि उसने उपराज्यपाल को उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन नहीं करने की सलाह दी है. मंत्रालय की ओर से यह सफाई तब आयी है, जबकि इससे पहले केजरीवाल ने दावा किया था कि इस सप्ताह के शुरू में उच्चतम न्यायालय के फैसले के बावजूद उपराज्यपाल अनिल बैजल ने सेवा विभाग का नियंत्रण शहर की सरकार को देने से इनकार कर दिया. उन्होंने दावा किया कि बैजल ने गृह मंत्रालय से सलाह मांगी थी और उन्हें बताया गया कि सेवाओं को दिल्ली सरकार को नहीं दिया जाना चाहिए.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा, ‘गृह मंत्रालय ने उपराज्यपाल को उच्चतम न्यायालय के आदेश के किसी अंश की अनदेखी करने की सलाह नहीं दी है. यह गुमराह करनेवाला बयान है.’ उसने कहा कि उसे उपराज्यपाल की ओर से एक संदर्भ मिला था जिसके जवाब में उनसे कानून का पालन करने को कहा गया. मंत्रालय ने कहा, ‘यह सलाह कानून मंत्रालय की इस राय पर आधारित है कि उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि इस मामले को समुचित नियमित पीठ के समक्ष रखा जाये.’ उसने कहा, वास्तव में सेवाओं के मामले में कोई अंतिम राय बनाना कानून के विरुद्ध होगा, जो नियमित पीठ के समक्ष अभी तक विचाराधीन है. उसने कहा, यह संविधान के अनुच्छेद 145 (3) के नियम के अनुरूप है.