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राज्यसभा के उपसभापति पद के चुनाव में जदयू का रुख होगा निर्णायक

नयी दिल्ली : कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस सरकार के दौरान विपक्षी दलों की एकजुटता देखने को मिली थी. लेकिन अब विपक्षी एकजुटता की असली परीक्षा राज्यसभा के उपसभापति पद के चुनाव में है. इस पद को लेकर एनडीए और यूपीए दोनों ने कवायद शुरू कर दी है. मौजूदा उपसभापति पीजे कुरियन दो जुलाई को […]

नयी दिल्ली : कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस सरकार के दौरान विपक्षी दलों की एकजुटता देखने को मिली थी. लेकिन अब विपक्षी एकजुटता की असली परीक्षा राज्यसभा के उपसभापति पद के चुनाव में है. इस पद को लेकर एनडीए और यूपीए दोनों ने कवायद शुरू कर दी है. मौजूदा उपसभापति पीजे कुरियन दो जुलाई को रिटायर हो रहे हैं और भाजपा के साथ कांग्रेस की नजर इस पद पर टिकी हुई है. लेकिन एनडीए और यूपीए दोनों के पास पर्याप्त बहुमत नहीं है. कांग्रेस ने विपक्षी एकता के लिए किसी विपक्षी दल के उम्मीदवार को समर्थन देने का फैसला लिया है, ताकि टीआरएस, बीजद और वाईएसआर कांग्रेस जैसे दलों का समर्थन हासिल किया जा सके. वहीं भाजपा के सहयोगी दलों खासकर जदयू और शिवसेना का रुख स्पष्ट नहीं है. हाल के दिनों में जदयू नेताओं के बयानों पर गौर करें, तो साफ जाहिर होता है कि पार्टी किसी गैर भाजपा और गैर कांग्रेसी उम्मीदवार को भी समर्थन देने पर विचार कर सकती है.

सूत्रों के मुताबिक जदयू पर कांग्रेस की ओर से डोरे डालने की बात बतायी जा रही है. वहीं एनडीए में होने के कारण भाजपा जदयू के वोट को अपना वोट मान रही है. हालांकि जदयू की ओर से अब तक किसी को भी काेई आश्वासन नहीं दिया गया है. राजनीतिक माहौल में जदयू की भूमिका पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. राज्यसभा में जदयू के छह सांसदों के वोट काफी महत्वपूर्ण है. इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि एनडीए में रहते हुए राष्ट्रपति पद के लिए जदयू ने यूपीए उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी का समर्थन किया था, वहीं यूपीए में रहते हुए जदयू एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का समर्थन किया था. ऐसे में जदयू की भूमिका को लेकर सस्पेंस बना हुआ है.

ऐसी खबरें हैं कि तृणमूल कांग्रेस उपसभापति पद के लिए अपना उम्मीदवार उतारेगी और इसके लिए कांग्रेस भी तैयार है. कांग्रेस का मानना है कि इससे टीआरएस, बीजद और टीडीपी का समर्थन हासिल हो सकता है. लेकिन वामपंथी दल तृणमूल कांग्रेस को समर्थन देने के लिए अब तक तैयार नहीं है. ऐसे हालात में कांग्रेस बीजद उम्मीदवार को समर्थन देने का फैसला ले सकती है. कांग्रेस का मानना है कि ऐसी स्थिति में एनडीए उम्मीदवार की जीत कठिन होगा. मौजूदा समय में राज्यसभा में एनडीए और अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों की संख्या 110, यूपीए की 113 है, जबकि बीजद के 9, टीआरएस के 6 और वाईएसआर कांग्रेस के 2 सदस्य हैं. राज्यसभा में जदयू के 6, तृणमूल कांग्रेस के 12 और वामदल के 9 सदस्य हैं.

दोनों पक्षों को जीत के लिए बीजद, टीआरएस और वायएसआर का समर्थन जरूरी है. गौरतलब है कि लोकसभा का उपाध्यक्ष और राज्यसभा का उपसभापति का पद परंपरागत तौर पर विपक्षी दलों को दिया जाता रहा है. लेकिन मौजूदा समय में राज्यसभा में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 51 और भाजपा की 69 है. ऐसे में कांग्रेस विपक्षी एकता के लिए इस पद पर अपनी दावेदारी पेश नहीं करने का फैसला लिया है. लेकिन इस पद के चुनाव में क्षेत्रीय दलों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो गयी है.

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