नयी दिल्ली: नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राजग सरकार में कैबिनेट मंत्री के रुप में आज शपथ लेने वाले राम विलास पासवान पिछले तीन दशक से हर तरह की सरकारों में केंद्रीय मंत्रिमंडल में रहे.इस दलित नेता ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य के रुप में की और 1969 में बिहार विधानसभा के लिए चुने गये. उसके बाद वह तेजी से सीढी चढते गये और कभी भी किसी राजनीतिक विचारधारा को अपनी राह में नहीं आने दिया.
केवल 2009 से 2014 के बीच का समय पासवान के लिए ज्यादा अच्छा नहीं रहा. वह लालू प्रसाद की राजद के साथ गठबंधन कर लोकसभा चुनाव लडे लेकिन उनकी पार्टी लोजपा एक सीट भी नहीं जीत पायी और वह खुद भी हाजीपुर से हार गये.इसे छोड दें तो बिहार का ये नेता हमेशा देश के राजनीतिक हालात और नब्ज समझता रहा है और उनका राजनीतिक कैरियर अब 45 साल का है. फरवरी 2014 में पासवान ने राजग से जुडने का फैसला किया और नरेन्द्र मोदी को लेकर उनके मन में जो भी विरोध था, उसे दरकिनार करते हुए उन्होंने देश की नब्ज समझी और राजग में शामिल हो गये. ये स्पष्ट संकेत था कि भाजपा के नेतृत्व वाला गठबंधन सरकार में आने वाला है. पासवान संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, लोकदल, जनता पार्टी, जनता दल, जदयू में रहे और फिर 2000 में अपनी पार्टी लोजपा का गठन किया.
आज कैबिनेट मंत्री के रुप में शपथ लेने वाले पासवान शायद अकेले ऐसे नेता हैं, जिन्होंने छह अलग अलग प्रधानमंत्रियों, विश्वनाथ प्रताप सिंह, एच डी देवगौडा, आई के गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और मोदी की कैबिनेट में काम किया है. ये है.