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बोले पीएम मोदी- जो कभी पंचायत से पार्लियामेंट तक राज चलाते थे, वे 400 से 44 पर आ गये

मुंबई : आपातकाल लागू होने की 43वीं बरसी पर मुंबई भाजपा द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम ‘आपातकाल : लोकतंत्र पर आघात’ में पीएम मोदी ने कहा कि हर वर्ष हम इस काले दिन को याद करते हैं. हम देश की वर्तमान और भावी पीढी को जागरुक करना चाहते हैं. इस काले दिन लोकतंत्र पर काला धब्बा […]

मुंबई : आपातकाल लागू होने की 43वीं बरसी पर मुंबई भाजपा द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम ‘आपातकाल : लोकतंत्र पर आघात’ में पीएम मोदी ने कहा कि हर वर्ष हम इस काले दिन को याद करते हैं. हम देश की वर्तमान और भावी पीढी को जागरुक करना चाहते हैं. इस काले दिन लोकतंत्र पर काला धब्बा लगा था.

उन्होंने कहा कि इतिहास के स्वर्णिम पन्नों पर ये जो काला धब्बा लगा है उसके माध्यम से इस पाप को करने वाली कांग्रेस पार्टी और उस समय की सरकार, उनकी आलोचना करने मात्र के लिए हम काला दिन नहीं मनाते हैं, बल्कि हम देश की वर्तमान और भावी पीढ़ी को जागरूक करना चाहते हैं. हम स्वयं को भी प्रति पल संविधान के प्रति समर्पण, लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता, हर पल अपने आपको सज्ज रखने के लिए भी इसका स्मरण करते हैं.

पीएम मोदी ने कहा कि देश ने कभी सोचा तक नहीं था कि सत्ता सुख के मोह में, परिवार भक्ति के पागलपन में, लोकतंत्र और संविधान की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले लोग हिंदुस्तान को जेलखाना बना देंगे. संविधान का कैसे दुरुपयोग किया जा सकता है. संविधान का एक परिवार के लिए किस प्रकार से हथकंडे के रूप में, साधन के रूप में, उपयोग किया जाता है, शायद ही ऐसा कोई उदाहरण कहीं मिल सकता है.

उन्होंने कहा कि जब-जब कांग्रेस पार्टी को और खासकर इस परिवार को अपनी कुर्सी जाने का संकट महसूस हुआ है, उन्होंने चिल्लाना शुरू किया है कि देश संकट से गुजर रहा है, देश में भय का माहौल है, देश तबाह हो जाने वाला है और सिर्फ हम ही बचा सकते हैं.कांग्रेस पर हमला करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि पंचायत से लेकर दिल्ली की सत्ता तक उनका राज था लेकिन अब ये 44 सीट पर सिमट गये हैं. चुनाव के बाद इन्हें इवीएम में खोट नजर आता था लेकिन कर्नाटक चुनाव के बाद उन्होंने कुछ नहीं कहा.

पीएम मोदी ने कहा कि वह कौन सी मानसिकता होगी, जिसने सत्ता सुख के लिए अपनी स्वयं की कांग्रेस पार्टी के टुकड़े कर दिए हों. ऐसे लोगों में लोकतंत्र के प्रति श्रद्धा कैसे हो सकता है. जब स्व सुख के लिए स्वयं के दल को तबाह कर दिया गया, उसी दिन संकेत मिल चुके थे कि इनके लिए परंपराएं, मूल्य, देश, लोकतंत्र, संविधान कोई मायने नहीं रखता है.आपातकाल में न्यायपालिका को भी भयभीत किया गया.

उन्होंने कहा कि जो कभी 400 लेकर बैठे थे, पंचायत से पार्लियामेंट तक एक ही परिवार का राज चलता था, वे 400 से 44 पर आ गये.

प्रधानमंत्री ने कहा कि बहुत कम लोग थे जो वाणी स्वातंत्र्य के लिए, अखबार की आजादी के लिए, संघर्ष का रास्ता चुनने के लिए मैदान में आए थे. आपातकाल के दौरान मीडिया को डराया गया. उन्होंने एक वाक्या याद किया और कहा कि गायक किशोर कुमार को कांग्रेस ने गाने के लिए बुलाया. उन्होंने मना कर दिया. बस उनका इतना ही गुनाह था कि देश के रेडियो पर से उनको बैन कर दिया गया.कांग्रेस पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, जिस पार्टी के अंदर लोकतंत्र न हो, उस पार्टी से लोकतंत्र की प्रतिबद्धता की कभी कल्पना नहीं कर सकते.

पीएम मोदी ने कहा कि मुसलमानों को संघ के नाम पर डराया गया. जिन्होंने संविधान को एक प्रकार से पूरी तरह कुचल दिया, वे आज दुनिया में भय पैदा कर रहे हैं कि मोदी है, संविधान खत्म कर देगा. मुस्लिमों और दलितों में काल्पनिक भय पैदा किया गया.उन्होंने कहा कि 26 जून किसी राजनीतिक दल को बुरा दिखाने के लिए नहीं, लोकतंत्र के प्रति आस्था को मजबूत करने के लिए, हमें इतिहास के इस पृष्ठ को कभी भूलना नहीं चाहिए, भूलने नहीं देना चाहिए.

पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया में भारत के लोकतंत्र की चर्चा होती है, तो लोग कहते हैं कि वो दिन याद रखो, आपने यह भी किया था. तब मैं दुनिया को कहता हूं कि यह भी याद रखो कि शासकों ने लोकतंत्र पर जुर्म किया था, लेकिन जनता जनार्दन में दम था कि उसने लोकतंत्र को पुनर्जीवत कर दिया था.

मुंबई रवाना होने से पहले पीएम मोदी ने अपने ट्विटर वॉल पर लिखा कि मैं उन लोगों को सलाम करता हूं जिन्होंने आज से 43 साल पहले आपातकाल का विरोध किया था. उनके संघर्ष ने लोगों की स्वतंत्रता और शक्ति सुनिश्चित की है. दूसरे ट्वीट में पीएम मोदी ने लिखा कि भारत आपातकाल को इतिहास का काला अध्याय के रूप में याद करता है, जिस दौरान हर संस्थान को तोड़ दिया गया था और डर का माहौल बनाया गया था. न केवल लोगों को बल्कि विचारों और कलात्मक स्वतंत्रता को भी राजनीति के लिए बंधक बना दिया गया था.

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा कि आइए हम लोकतांत्रिक आस्था को मजबूत बनाने की दिशा में काम करें. लेखन, बहस, विचार-विमर्श, पूछताछ हमारे लोकतंत्र के महत्वपूर्ण पहलू हैं, जिनपर हमें गर्व है. कोई भी ताक़त हमारे संविधान के बुनियादी सिद्धांतों को कम नहीं कर सकता.

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