कर्नाटक चुनाव के शुरुआती रुझान की अगर बात करें, तो ऐसा लगा था कि प्रदेश में त्रिशंकु विधानसभा होगी और जनता दल सेक्यूलर (JDS) ‘किंग मेकर’ की भूमिका में होगा, लेकिन मात्र एक घंटे में ही रुझान कुछ यूं बदला कि भाजपा अकेले सरकार बनाने की स्थिति में नजर आ रही है और अगर उसे स्पष्ट बहुमत ना भी मिले तो भी वह सरकार बना लेगी.
शुरुआती रुझान के बाद विशेषज्ञ यह कह रहे थे किअगर परिणाम रुझान में तब्दील हुए तो कहना ना होगा कि सरकार गठन में जनता दल सेक्यूलर की भूमिका ‘किंग मेकर’ की होगी. रुझान के अनुसार भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरेगी और कांग्रेस दूसरी, लेकिन दोनों ही पार्टियां सरकार बनाने की स्थिति में नहीं होंगी.
कांग्रेस पार्टी तो शायद इसे सच ही मान बैठी थी इसलिए वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गलहोत ने कहा है -प्रदेश में हमारी सरकार बनेगी और हमें पूर्ण बहुमत मिलेगा अगर ऐसा ना भी हुआ तो भी हम समान विचारधारा के लोगों के साथ सरकार बनायेंगे.
प्रदेश में जेडीएस की स्थिति को देखते हुए चुनाव प्रचार के दौरान ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा एचडी देवगौड़ा का समर्थन किया और उन्हें धरती पुत्र बताया है. ऐसे में अगर यह कहा जाये कि भाजपा ने पहले से गठबंधन की सरकार बनाने की प्रक्रिया में कांग्रेस को मात देने की बिसात बिछा रखी है, तो गलत नहीं होगा.
राजनीति के जानकारों का कहना था कि जेडीएस शातिर खिलाड़ियों की पार्टी है, जो अपने पत्ते अंतिम समय तक नहीं खोलती है. ऐसे में यही कहा जा रहा था कि अगर त्रिशंकु विधानसभा उभरी तो जेडीएस किंग मेकर की भूमिका निभाने की बजाय अपनी मजबूत स्थिति में खुद को किंग बनाने की शर्त भी रख सकता था.
बहरहाल अब जो रुझान आ रहे हैं उसके अनुसार प्रदेश में भाजपा अपने बूते सरकार बनाती दिख रही है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि एचडी देवगौड़ा ‘किंग मेकर’ होते-होते रह गये औरकर्नाटक कांग्रेस के हाथों से निकल गया है, तो ऐसे में राहुल गांधी के नेतृत्व पर एकबार फिर सवाल खड़े होंगे..