नयी दिल्ली : भारत के दो पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र और गुजरात आज यानी एक मई को अपना स्थापना दिवस मना रहे हैं. आज ही के दिन 1960 में दोनों राज्य बांबे स्टेट से विभाजित होकर दोप्रांत बने थे, जिनके नाम महाराष्ट्र और गुजरात रखे गये. गुजरात एवं महाराष्ट्र का गठन भाषाई आधार पर किया गया. जो लोग गुजराती भाषी थे उनकी बहुलता वाले क्षेत्र को गुजरात राज्य को मराठी भाषी क्षेत्र को महाराष्ट्र राज्य का नाम दिया गया.
पत्रकार ब्रजेश कुमार सिंह ने गुजरात दिवस के मौके पर ट्वीट किया – महागुजरात के शहीदों और आंदोलनकारियों को गुजरात स्थापना दिवस के मौके पर शत-शत नमन, जिनके बलिदान और संघर्ष ने मोरारजी देसाई की अगुवाई वाली तत्कालीन बृहद बंबई की सरकार ही नहीं, नेहरू की अगुवाई वाली केंद्र सरकार को भी इस बात के लिए मजबूत किया कि वे अलग गुजरात को अस्तित्व में आने दें. उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा – गुजरातियों ने 1947 के बाद से ही लंबा संघर्ष किया और महागुजरात आंदोलन में दर्जनों शहीद हुए. उन्होंने लिखा कि कन्हैयालाल मुंशी ने गुजराती अस्मिता की भावना को कितनी मजबूती दी थी, इसका अदांजा न फजल अली की अगुवाई वाले राज्य पुनर्गठन आयोग को था और न ही मोरारजी देसाई या गुजरात कांग्रेस समिति को.
1955 में राज्य पुनर्गठन आयोग ने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें बंबई राज्य को तीन भागों में बांटने की सिफारिश की थी, जिसमें महाराष्ट्र, गुजरात राज्य व मुंबई शहर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की सिफारिश थी, जिसे केंद्र ने मान लिया. लेकिन, इससे संयुक्त महाराष्ट्र में हलचल शुरू हो गयी और फिर केंद्र ने 1956 में यह विचार बदल लिया और मुंबई व मौजूदा महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों को मिलाकर एक ही राज्य बनाने व गुजरात को अलग राज्य बनाने का निर्णय लिया. राज्य गठन की प्रक्रिया ने अंतत: एक मई 1960 को आकार लिया और दो नये राज्य देश के मानचित्र पर अस्तित्व में आये.
कन्हैयालाल मुंशी ने गुजराती अस्मिता की भावना को कितनी मज़बूती दी थी, इसका अंदाज़ा न तो फ़ज़ल अली की अगुआई वाले राज्य पुनर्गठन आयोग को था और न ही मोरारजी देसाई या गुजरात कांग्रेस समिति को, जो आयोग को ये भरोसा दे रहे थे कि गुजराती लोग द्विभाषी राज्य बंबई में साथ रहने को तैयार हैं! pic.twitter.com/Ukm6So6jYl
— Brajesh Kumar Singh (@brajeshksingh) May 1, 2018