नई दिल्ली : कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार को मुश्किल भरा बताते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने आज कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए तूफानी प्रचार में खर्च के मामले में भाजपा ने उनकी पार्टी को बहुत पीछे छोड दिया. रमेश ने कहा कि मोदी के प्रचार में ‘बेहिसाब खर्च’ किया गया जबकि इसकी तुलना में कांग्रेस का खर्च मामूली है.
उन्होंने अभी संपन्न हुए चुनाव में किए गए खर्च की गंभीरता से ऑडिट करने की भी मांग की. रमेश ने यहां कहा कि यह एक मुश्किल भरा प्रचार कार्य था क्योंकि कांग्रेस भाजपा ने खर्च के मामले में कांग्रेस को बहुत पीछे छोड दिया. उन्होंने कहा कि भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने जितना धन खर्च किया वह बहुत अधिक है. मुझे लगता है कि खर्च का यह बेहिसाब स्तर है. लेकिन स्पष्ट रुप से खर्च का हमारा स्तर मोदी की तुलना में बहुत कम है.
कपिल सिब्बल और आनंद शर्मा जैसे कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाया है कि भाजपा ने अपने चुनाव प्रचार में पांच से दस हजार करोड रुपये खर्च किए हैं जो भारतीय चुनाव के इतिहास में अभूतपूर्व है.
रमेश ने यहां महिला प्रेस क्लब में मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए चुनाव प्रचार के दौरान बेतहाशा खर्चें पर काबू पाने के लिए एक प्रस्ताव भी पेश किया और सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास निधि को समाप्त करने और इस राशि का इस्तेमाल चुनाव के लिए सरकार की ओर से धन मुहैया कराने के लिए किये जाने का सुझाव दिया.
7 अप्रैल को शुरु हुए एवं 12 मई को संपन्न हुए नौ चरणों के चुनाव में सरकार, राजनीतिक पार्टियों और उम्मीदवारों द्वारा कुल 30,000 करोड रुपया खर्च किए जाने का अनुमान है.
प्रिंट मीडिया के प्रथम पृष्ठ पर भाजपा के प्रचार अभियान का हवाला देते हुए रमेश ने कहा कि अखबारों में मोदी द्वारा दिए गए पहले पन्ने के विज्ञापन आपको यह कहानी बयां करेंगे कि कितना धन खर्च किया गया.
उन्होंने कहा कि विधानसभा, संसदीय सीटों के लिए राजनीतिक पार्टियां करोडों रुपये खर्च कर रही हैं. इन हालात में सिर्फ बडे ठेकेदार और रियल एस्टेट डेवलपर चुनाव लड सकते हैं.
उन्होंने कहा कि यदि आप मुझसे पूछते हैं कि क्या गंभीर ऑडिट होनी चाहिए तो मैं आपसे सहमत हूं. रायबरेली और अमेठी में प्रियंका गांधी के प्रचार के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘वह विचारों की स्नेत हैं. वह प्रचारक नहीं हैं.’’ उन्होंने एग्जिट पोल अनुमानों में कांग्रेस के सबसे बडी हार का सामना करने के दावों को खारिज कर दिया. रमेश ने आरोप लगाया कि भाजपा की प्रचार रणनीति उत्तर भारत में सोच विचार कर धुव्रीकरण करने की थी. असली प्रचार रणनीति मुजफ्फरनगर में जाहिर हुई.
यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस तीसरे मोर्चे का समर्थन करेगी, इस पर रमेश ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया.रमेश ने कहा कि कांग्रेस केंद्र में एक स्थिर, धर्मनिरपेक्ष और संगठित सरकार के गठन के लिए काम करेगी. हालांकि, उन्होंने खंडित जनादेश आने पर पार्टी द्वारा तीसरे मोर्चे का समर्थन किए जाने के सवाल का स्पष्ट जवाब नहीं दिया.
उन्होंने कहा, ‘‘सारे सवाल 16 मई को शाम पांच बजे के बाद प्रासंगिक होंगे.’’ उन्होंने दावा किया कि संप्रग 1 और संप्रग 2 संगठित सरकारें थी. वे किसी और सरकार की तुलना में संगठित सरकारें थी. लेकिन आरोप लगाया कि अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार संगठित सरकार नहीं थी.
दरअसल, यह इस बात की मांग करता है कि सभी पार्टियां शासन के लिए जिम्मेदारी साझा करें. उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार महिला आरक्षण विधेयक पारित करने पर आमराय नहीं बना पाई और यह सुझाव दिया कि अगली लोकसभा को इसे अवश्य ही प्राथमिकता के तौर पर लेना चाहिए.