नयी दिल्ली : यदि यह खबर सही है, तो बजट में नरेंद्र मोदी की सरकार देश के लोगों को बड़ी सौगात देने जा रही है. प्राईवेट इंश्योरेंस कंपनियों की भी बल्ले-बल्ले हो जायेगी. सूत्रों के मुताबिक, सेंट्रल स्पॉन्सर्ड स्कीम के तहत सबको हेल्थ इंश्योरेंस देने के लिए 5,000 करोड़ रुपये का बजट में प्रावधान किया जायेगा. इस योजना में प्राईवेट इंश्योरेंस कंपनियों को बड़ी भूमिका मिल सकती है. इसमें कुल खर्च का 60 फीसदी केंद्र और 40 फीसदी हिस्सा राज्य वहन करेंगे. ट्रस्ट बनाकर स्वास्थ्य बीमा देने पर भी विचारकियाजा रहा है. इसके तहत देश के हर नागरिक को 3 से 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया जायेगा.
इसे भी पढ़ें : पेट्रोलियम सेक्टर में भी प्राईस वार शुरू करेगा रिलायंस JIO, 20 रुपये तक सस्ता मिलेंगे अंबानी के पेट्रोल!
सूत्रों का कहना है कि हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम तीन तरह की होगी. ‘कल्याण स्कीम’ के तहत गरीबी रेखा से नीचे वालों (बीपीएल) को इंश्योरेंस कवर दिया जायेगा. ‘सौभाग्य स्कीम’ के तहत 2 लाख रुपये तक के आयवालेकवर किये जायेंगे. 2 लाख से ज्यादा आमदनी वाले सभी वर्गों के लिए ‘सर्वोदय स्कीम’होगी. गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले और 2 लाख रुपये से कम आमदनी वालों का प्रीमियम सरकार भरेगी. इससे ज्यादा की आमदनी वालों से हेल्थ इंश्योरेंस के लिए मामूली प्रीमियम लिया जायेगा.
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, इंटरनल सर्वे में पाया गया है कि देश में करीब 70 फीसदी लोगों के पास हेल्थ इंश्योरेंस कवर नहीं है. यही कारण है कि बीमार होने पर इलाज के लिए उनके पास उतने पैसे नहीं होते. यही वजह है कि हर नागरिक को स्वास्थ्य बीमा के दायरे में लाने का फैसला किया गया है.
इसे भी पढ़ें : झारखंड में 18 लाख से अधिक शौचालय बने, 3 जिले, 60 ब्लॉक और 1314 पंचायतें खुले में शौच से मुक्त
इंडस्ट्री चैंबर ऐसोचैम की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, बड़ी-बड़ी कंपनियों में काम करनेवाले आधे से ज्यादा कर्मचारियों का कहना है कि उनकी कंपनियां कर्मचारियों को हेल्दी और फिट रखने के लिए किसी तरह का कोई कार्यक्रम नहीं चलाती. एफएमसीजी, मीडिया और सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित सेवाओं और रीयल इस्टेट समेत अन्य क्षेत्रों की कंपनियों मेंकियेगये सर्वेक्षण में कहा गया है कि कॉर्पोरेट स्वास्थ्य योजना को अपनाकर भारतीय इंडस्ट्री कर्मचारियों की अनुपस्थिति दर में एक फीसदी की कमी लाकर 2018 में 20 अरब डॉलर की बचत कर सकती है.
करीब 52 फीसदी कर्मचारियों ने खुलासा किया है कि उनकी कंपनी इस तरह की कोई योजना नहीं चलाती है, जबकि बाकी बचे कर्मचारियों में से 62 फीसदी का कहना है कि वर्तमान में उनकी कंपनी द्वारा चलायी जा रही योजना में सुधार की जरूरत है.