वैसे तो नंदन नीलेकणी को लोग इनफोसिस के संस्थापक सदस्य और यूआइडीएआइ के चैयरमैन के तौर पर जानते हैं, अब वह नेता भी बन गये हैं. नीलेकणी ने 16वीं लोकसभा के लिए हो रहे चुनाव में बेंगलुरु दक्षिण से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा है.
चुनाव जीतने का उन्हें विश्वास है इसलिए सांसद के तौर पर अपनी प्राथमिकताओं की लिस्ट बनाने में वह जुट गए हैं. नीलेकणी मानते हैं कि भाजपा ने उनके सामने बहुत कमजोर उम्मीदवार उतारा था. वह कहते हैं, अनंत कुमार भले पांच बार सांसद रहे हों लेकिन उनका काम नहीं करना मेरे लिए फायदेमंद साबित हुआ. इसलिए अब मैं आगे की अपनी प्रथमिकताओं को तय करने में लगा हूं. टेकAोक्रेट नीलेकणी अपने क्षेत्र के प्रबंधन को सुचारु रूप से चलाने के लिए एक सिस्टम बना रहे जिसे वे कांस्चूएंसी मैनेजमेंट सिस्टम (सीएमएस) का नाम दे रहे हैं. नीलेकणी बताते हैं कि अपने पूरे कार्यकाल के लिए वह अभी से एजेंडा तय कर देना चाहते हैं और जल्द ही उनको जमीन पर उतारने के लिए काम पर लग जाना चाहते हैं. सीएमएस का डिजाइन यही सोच कर किया जा रहा है. नीलेकणी बताते हैं कि मैंने जितने वादे किये हैं, उनसब का प्रमुखता के आधार लिस्ट तैयार करना है. जो सीएमएस वो बना रहे हैं, उसपर एक ट्रैकिंग नंबर भी जारी होगा जिसपर लोग अपने सुझाव दे सकते हैं और शिकायतें दर्ज करा सकते हैं. नीलेकणी बताते हैं कि हर वोटर मुझ तक पहुंच सकता है. मैं इस सिस्टम पर अगले एक माह तक काम करुंगा.
टेकAोक्रेट से राजनेता बने नीलेकणी ने आइआइटी, मुंबई से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. 1981 में नारायणमूíत और पांच अन्य लोगों की टीम ने इनफोसिस की स्थापना की थी. इस टीम में नीलेकणी भी थे. 2002 में वह इनफोसिस के सीइओ बने. 2007 में बोर्ड आफ डायरेक्टर्स के चेयरमैन का पद संभाला. 2009 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन्हे यूआइडीएआइ का पद संभालने के लिए बुलाया जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया.बाद में उन्होंने कांग्रेस के चुनाव लड़ने के प्रस्ताव को भी मंजूर कर लिया.