जयपुर : राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकारको आज विधानसभा में सीआरपीसी – 1973 एवं आइपीसी – 1860 में संशोधन संबंधी विधेयक परन सिर्फ विपक्षी कांग्रेस बल्कि अपनेही कुछविधायकों के तीखेविरोध का सामना करना पड़ा. इस कारण राज्य की भाजपा सरकार बैकफुट पर आ गयी और राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया को कहना पड़ा कि इसमें खामियां होंगी, तो उसे दूर किया जायेगा. कटारिया नेइससे संबंधित विधेयक सहित छह विधेयक आज विधानसभा के पटल पर पेश किया. इस विधेयक में इस तरह के प्रावधान किये गये हैं कि जज, मजिस्ट्रेट या किसीसरकारी कर्मचारीपर लगे आरोपों की जांच से पहलेसंबंधित विभागों के आला अफसरों सेअनुमति लेनी होगी. वसुंधरा सरकार के इस विधेयकका विपक्ष सहित एक वर्ग तीखा विरोधव आलोचना कर रहा है और कहा जा रहाहैऐसा होने पर भ्रष्ट लोकसेवकों को सुरक्षा कवच मिल जायेगा.
Govt wants to cover up their own corruption. We'll submit memorandum to Pres: Sachin Pilot on Criminal Laws (Rajasthan Amendment) ordinance pic.twitter.com/zJIbB6dGHi
— ANI (@ANI) October 23, 2017
भाजपा के विधायक घनश्याम तिवारीव माणकचंद सुराणा ने सदनके अंदर इसका विरोध किया और कहा कि सरकार ने आपातकाल जैसी स्थिति ला दी है. तिवारी इस विधेयक का विरोध करते हुए सदन से बाहर चले गये. सदन शुरू होते हीनेता प्रतिपक्ष रामेश्वरडूडी ने बोलना शुरू कर दिया और विधेयक का विरोध किया. सदन में आज हंगामा भीहुआ.
इस विधेयकका विरोध जताने के लिए कांग्रेस के विधायक आज मुंह पर काली पट्टी बांध कर एवं गले में तख्ती लटका कर विधानसभा पहुंचे. वे पश्चिम द्वार से विधायक आवास से पदयात्रा करते हुए विधानसभा पहुंचे थे. इस विधेयक के विरोध में कांग्रेस के विधायक राज्यपाल कल्याण सिंह से मिल कर उन्हें ज्ञापन भी देंगे.
उधर, इसबिल के खिलाफ राजस्थान हाइकोर्ट में एक वकील ने पीआइएलदायर किया है. उधर, केंद्र ने राजस्थान सरकार के इस विधेयक का बचाव किया है. कानून राज्यमंत्री पीपी चौधरी ने कहा है कि यह विधेयक पूर्ण एवं संतुलित है. उन्होंने कहा है कि इस समय यह विधेयक बहुत आवश्यक हो गया है.