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सोनीपत बम धमाकों का मुख्य आरोपी अब्दुल करीम टुंडा दोषी करार, 21 साल बाद आया फैसला

सोनीपत : स्थानीय अदालत ने 21 साल के लंबे इंतजार के बाद सोनीपत में 1996 में सिलसिलेवार बम धमाकों को अंजाम देनेवाले अब्दुल करीम टुंडा को सोमवार को दोषी करार दिया. अदालत मामले में मंगलवार को सजा सुनायेगी. अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉ सुशील कुमार गर्ग की अदालत ने सोनीपत शहर में 1996 में […]

सोनीपत : स्थानीय अदालत ने 21 साल के लंबे इंतजार के बाद सोनीपत में 1996 में सिलसिलेवार बम धमाकों को अंजाम देनेवाले अब्दुल करीम टुंडा को सोमवार को दोषी करार दिया. अदालत मामले में मंगलवार को सजा सुनायेगी. अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉ सुशील कुमार गर्ग की अदालत ने सोनीपत शहर में 1996 में गीता भवन चौक सहित बाबा तराना सिनेमा हाल में सिलसिलेवार बम धमाके के मामले में अब्दुल करीम टुंडा को दोषी करार दिया.

गौरतलब है कि टुंडा ने सोनीपत के गीता भवन चौक एवं बाबा तराना हाल में दस मिनट के अंतराल पर बम धमाके किये थे. धमाकों में करीब एक दर्जन लोग घायल हुए थे. पुलिस ने मामले में कार्रवाई करते हुए गाजियाबाद निवासी अब्दुल करीम टुंडा और उसके दो सहयोगी दिल्ली निवासी आमिर खान उर्फ कामरान और शकील अहमद को नामजद किया था. सरकारी वकील राजीव ने बताया कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने जिला अदालत में कड़ी सुरक्षा के बीच टुंडा को पेश किया. फैसले के बाद टुंडा को सोनीपत जेल भेज दिया गया.

इससे पहले सितंबर में हुई सुनवाई के दौरान टुंडा ने अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉ सुशील कुमार गर्ग की अदालत में अपने बयान में कहा था कि वह घटना के समय पाकिस्तान में था. अब्दुल करीब टुंडा 1980 में कभी होम्योपैथिक दवाइयों की दुकान चलाता था. इसके बाद जब वह आतंकी संगठनों के संपर्क में आया तो न सिर्फ उसने अपनी दुकान को बंद कर दिया, बल्कि भारत में आतंक फैलाने का भी काम किया. अब्दुल करीम टुंडा पर दाऊद इब्राहिम और हाफिज सईद का करीबी होने के साथ-साथ 1996 से 1998 के बीच दिल्ली, पानीपत, सोनीपत, लुधियाना, कानपुर और वाराणसी में हुए बम धमाकों का मास्टरमाइंड होने का भी आरोप है. टुंडा कैप्सूल बम बनाने में माहिर है.

बताया जाता है कि बांग्लादेश में बम बनाने के दौरान ब्लास्ट हो गया जिसमें उसका बायां हाथ उड़ गया. इसके बाद उसे टुंडा के नाम से लोग बुलाने लगे. वह देसी तकनीक से बम बनाना सिखाता था. लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों में उसकी भारी डिमांड थी. वह 1985 में आइएसआइ से ट्रेनिंग ले चुका था.

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