नयी दिल्ली: गुड़गांव के सोहना स्थित रेयान इंटरनेशनल स्कूल में तथाकथित तौर पर एक बस कंडक्टर द्वारा दूसरी कक्षा के छात्र प्रद्युम्न की हत्या के बाद टेलीविजन चैनलों पर जलेबी की तरह इस खबर को परोसा तो जा रहा है, लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल हुआ सच असली चेहरा से कुछ अलग है. अगर आप खुद उस सच को देखेंगे, तो बरबस मुंह से निकल पड़ेगा, आखिर यह कैसी पत्रकारिता है? क्या एक पीड़ित पिता के साथ खबर परोसने के लिए ऐसा ही व्यवहार किया जाना चाहिए.
जिस नृशंस हत्याकांड को लेकर देश की न्यायपालिका से लेकर सरकार और सरकारी तंत्र तक संजीदा हुआ पड़ा है. राज्य सरकार इस मामले में कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है. न्यायपालिका अपने तरीके से स्कूल के मालिक पर शिकंजा कस रहा है, ताकि उस पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके और इस कांड में संलिप्त असली दोषी कानून के कटघरे में आये.
इतना कुछ होने के बावजूद हमारे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए यह मामला एक तमाशा भर लगता है. सोशल मीडिया पर इस समय एक ऐसा ही वीडियो क्लीप वायरल हो रहा है, जिसमें एक इलेक्ट्रॉनिक चैनल के कुछ कर्मचारी अपनी खबर बनाने के लिए प्रद्युम्न के पिता को दूसरे टेलीविजन चैनल से बात भी नहीं करने दे रहे. आलम यह कि पहले हम, पहले हम के चक्कर में बीच में ही उनके कॉलर पर लगे दूसरे चैनल के कॉलर माइक तक को छीनने और बंद करने का प्रयास किया जाता है.
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फेसबुक पर वायरल हुए करीब एक मिनट तक के इस वीडियो में संबंधित चैनल की रिपोर्टर यह कहती हुई नजर आती है कि मैंने आपको पहले ही पांच मिनट का समय मांगा था. आपने पहले मुझे टाइम देने के लिए कहा था. इसी दौरान प्रद्युम्न के पिता वरुणचंद ठाकुर पहले से निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार संबोधित करने लगते हैं, लेकिन वह रिपोर्टर अपनी संवेदना और मानवता को ताक पर रखकर बीच में उनके वरुणचंद के साथ में छीना-झपटी करने लगती है.
इस बीच सवाल यह उठता है कि यह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की कैसी पत्रकारिता है? क्या टेलीविजन चैनलों के रिपोर्टरों और पत्रकारों की संवेदना पूरी तरह मर गयी है कि वह अपने बच्चे को खोने वाले पिता के साथ दुर्व्यवहार करने से भी नहीं चूकते? सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो फिलहाल कई तरह के सवाल खड़े करता हुआ नजर आता है.