पुणे: रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने 25 आवेदनों में से सिर्फ दो को लाइसेंस देने के फैसले का बचाव करते हुए आज कहा कि चयन समिति को लगा कि बैंक लाइसेंस के दूसरे आवेदक सामान्य बैंकिंग से भिन्न बैंकिंग सेवा में बेहतर कर सकते हैं.
राजन ने कहा ‘‘हमने आवेदकों की सूची की जांच की और इन आवेदकों पर जालान समिति और रिजर्व बैंक दोनों सहमत रहे.’’ उन्होंने कहा ‘‘हमने संभावनाओं का खुलासा किया है कि जब हम लाइसेंस प्रक्रिया को सतत् जारी रहने वाली तथा भिन्न बैंकिंग लाइसेंस प्रक्रिया शुरु करेंगे तब बैंक लाइसेंस चाहने वाले शेष आवेदक आवेदन कर सकेंगे.’’ लाइसेंस प्रदान करने की प्रक्रिया के लिए बेहद संकीर्ण नजरिया अपनाने के बारे में राजन ने कहा ‘‘कुछ आवेदकों की पात्रता पूर्ण लाइसेंस की बजाय अलग तरह की बैकिंग सेवा के लाइसेंस के लिए बेहतर हो सकती है.’’ राजन आरबीआई द्वारा संचालित राष्ट्रीय बैंकिंग प्रबंधन संस्थान के सालाना दीक्षांत समारोह के मौके पर संवाददाताओं से बात कर रहे थे.
बैंकिंग लाइसेंस प्रदान करने की साल भर पहले शुरु हुई प्रक्रिया दो अप्रैल को खत्म हुई और भारतीय रिजर्व बैंक ने 25 आवेदकों में से सिर्फ दो – आईडीएफसी और कोलकाता के सूक्ष्म रिणदाता बंधन – को लाइसेंस दिया. इस दौड में रिलायंस अनिल अंबानी समूह, बिडला समूह, बजाज समूह जैसे बडे समूह समेत 22 अन्य पिछड गए.