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गिलानी के दामाद, तीन अन्य की एनआइए हिरासत अवधि बढ़ी

नयी दिल्ली : दिल्ली की एक विशेष अदालत ने आतंकवाद के वित्तपोषण के एक मामले में शुक्रवार को हुरियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के दामाद और तीन अन्य लोगों की एनआइए हिरासत की अवधि दस दिन के लिए और बढ़ा दी ताकि एनआइए उनसे पूछताछ जारी रख सके. गिलानी के दामाद अल्ताफ अहमद शाह […]

नयी दिल्ली : दिल्ली की एक विशेष अदालत ने आतंकवाद के वित्तपोषण के एक मामले में शुक्रवार को हुरियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के दामाद और तीन अन्य लोगों की एनआइए हिरासत की अवधि दस दिन के लिए और बढ़ा दी ताकि एनआइए उनसे पूछताछ जारी रख सके. गिलानी के दामाद अल्ताफ अहमद शाह उर्फ अल्ताफ फंटूश के अलावा अदालत ने पीर सैफुल्ला, मेहराजुद्दीन कलवल और नईम खान को एजेंसी की हिरासत में भेज दिया.

एनआइए ने उनकी 12 दिन की हिरासत मांगते हुए कहा था कि उन्हें आमने-सामने बिठाने की और मामले को लेकर जुटाये गये सबूतों के संबंध में पूछताछ करने की जरूरत है. एजेंसी ने 24 जुलाई को सात लोगों को कश्मीर घाटी में आतंकवाद और विध्वंसक गतिविधियों के कथित वित्त पोषण के मामले में गिरफ्तार किया था. तीन दूसरे अलगाववादी नेताओं शाहिद अल इस्लाम, फारुक अहमद डार और मोहम्मद अकबर खांडे को एक सितंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. एनआइए ने विशेष सीबीआइ न्यायाधीश ओपी सैनी को बताया कि और पूछताछ के लिए तीनों की जरूरत नहीं है जिसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया. जांच एजेंसी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लुथरा ने कहा कि फंटूश और तीन अन्य को जांच के सिलसिले में घाटी में दूरदराज की जगहों पर ले जाने की जरूरत है.

मामले से संबद्ध एक वकील ने कहा कि बंद कमरे में चली कार्यवाही के दौरान एनआइए ने अदालत से हिरासत की अपनी याचिका एक सीलबंद लिफाफे में रखने का भी अनुरोध किया क्योंकि उसमें संवेदनशील सूचनाएं हैं. अदालत ने अगली सुनवाई तक के लिए इसे मंजूरी दे दी. इससे पहले एजेंसी से अदालत से कहा था कि उसके पास सूचना है कि जमात उद दावा का प्रमुख हाफिज सईद और अलगाववादी, जिनमें हुरियत कांफ्रेंस के सदस्य शामिल हैं, हिज्बुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा, दुख्तरान-ए-मिल्लत जैसे प्रतिबंधित संगठनों एवं अन्य के साथ मिलकर हवाला सहित अवैध माध्यमों से देश-विदेश से धन जुटा रहे हैं, हासिल कर रहे हैं और इसका इस्तेमाल अशांत जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों एवं आतंकी गतिविधियों के वित्तपोषण में किया जा रहा है.

एजेंसी ने कहा था कि आरोपी देश के खिलाफ युद्ध छेड़ रहे थे और वे गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत दंडनीय अपराधों में लिप्त थे. हालांकि, आरोपियों की तरफ से पेश हुए वकील रजत कुमार ने दावा किया था कि उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया है और वे पिछले एक महीने से चल रही जांच में सहयोग कर रहे हैं. हुरियत कॉन्फ्रेंस के कट्टरपंथी गुट के नेता गिलानी के दामाद शाह जम्मू कश्मीर पुलिस की हिरासत में थे जिसने पिछले माह ईद के बाद उन्हें तत्काल ऐहतियात के तौर पर हिरासत में ले लिया था.

गिलानी के करीबी सहायक, तहरीक-ए-हुरियत के प्रवक्ता अयाज अकबर और पीर सैफुल्ला को एनआइए ने घाटी से गिरफ्तार किया था. शाहिद उल इस्लाम हुरियत कॉन्फ्रेंस के उस गुट के प्रवक्ता हैं जिसके अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारुक हैं. प्राथमिकी में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जमात उद दावा के प्रमुख हाफिज सईद का नाम आरोपी के तौर पर है. इसके अलावा हुरियत कॉन्फ्रेंस ( गिलानी और मीरवाइज फारुक की अगुवाईवाले गुटों ), हिजबुल मुजाहिदीन तथा दुख्तरान ए मिल्लत जैसे संगठनों का नाम भी प्राथमिकी में है. जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है उनके मकानों पर पहले एनआइए अधिकारियों ने जांच के सिलसिले में छापा मारा था. यह जांच घाटी में विध्वंसक गतिविधियों के लिए अलगाववादियों द्वारा कथित तौर पर धन लेने के सिलसिले में की जा रही है. एनआइए ने दावा किया था कि उसे लेखा पुस्तिकाएं, दो करोड़ रुपये नकद और लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन सहित प्रतिबंधित आतंकी संगठनों के लैटरहेड आदि छापे के दौरान मिले हैं.

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