हमारे देश में मातृ मृत्यु दर (Maternal mortality) चिंता का विषय है. तमाम प्रयासों के बावजूद इसपर अंकुश लगाना चुनौती बना हुआ है. यूनिसेफ द्वारा फरवरी 2017 में जारी आंकड़ों के अनुसार पिछले 25 सालों में पूरे विश्व में मातृ मृत्यु दर में गिरावट आयी है. आंकड़ों के अनुसार इसमें 44 प्रतिशत की कमी आयी और और यह प्रति एक लाख जन्म पर 385 मौत से 216 मौत पर सिमट गया है. इसे एक सुखद आंकड़ा माना जा सकता है बावजूद इसके अभी तक निर्धारित लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया है, वर्तमान में 2.3 प्रतिशत की कमी आयी है, जबकि लक्ष्य 5.5 प्रतिशत निर्धारित किया गया था.
पूरे विश्व में सर्वाधिक मातृ मृत्यु दर अफ्रीकी देशों में है, उसके बाद दक्षिण एशियाई देशों का नंबर आता है. विश्व भर में 99 प्रतिशत मातृ मृत्यु की घटनाएं विकासशील देशों में होती. अगर बात सिर्फ भारत की हो, तो देश में मातृ मृत्यु दर में 40 प्रतिशत से अधिक की कमी आयी है. जहां वर्ष 1990 में प्रति एक लाख जन्म पर 556 मौतें होती थीं, वही वर्ष 2015 में संख्या घटकर 174 हो गयी है. मरने वाली औरतें 15 से 49 वर्ष आयु वर्ग की हैं. विश्व भर में प्रतिदिन लगभग 800 महिलाओं की मौत गर्भावस्था और प्रसव के दौरान हो जाती है, जिनमें से 20 प्रतिशत महिलाएं भारत से होती हैं.
एक आंकड़ा यह भी है कि गर्भावस्था के दौरान लगभग 55,000 महिलाओं की मौत भारत में हो चुकी है. यूनिसेफ का मानना है कि भारत में मातृ मृत्यु दर में आयी कमी का बहुत बड़ा योगदान जननी सुरक्षा योजना को जाता है. योजना के प्रभाव से महिलाएं संस्थागत प्रसव के लिए प्रोत्साहित हुई हैं, साथ ही उनकी जांच भी नियमित हो जाती है, जिसके कारण किसी भी तरह की समस्या होने पर उसका निदान संभव हो जाता है.
मातृ मृत्यु दर का सबसे बड़ा कारण रक्तस्राव है. अत्यधिक रक्तस्राव हो जाने और समय पर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध ना होने के कारण महिलाओं की मौत हो जाती है. गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लेड प्रेशर संबंधी विकार और असुरक्षित गर्भपात के कारण भी महिलाओं की मौत होती है.
वर्ष 2012-13 के आंकड़ों के अनुसार भारत में सर्वाधिक मातृ मृत्यु दर बिहार में रहा, जहां प्रति एक हजार पर 30 महिला की मौत हुई, जबकि उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा 25 रहा, वहीं झारखंड में यह आंकड़ा 22 रहा. जबकि उत्तराखंड में मातृ मृत्यु दर सबसे कम प्रति एक हजार पर 10 रहा.
हालांकि अगर हम औसत देखेंगे तो प्रति एक लाख जन्म पर असम में सर्वाधिक मौत हुई. यहां प्रति एक लाख जन्म पर 301 मौत हुई, जबकि बिहार का नंबर दूसरा रहा, जहां 274 मौत हुई, जबकि झारखंड में यह आंकड़ा 245 रहा. उत्तराखंड में यह आंकड़ा 165 का है. बिहार में मातृ मृत्यु दर पूर्णिया जिले में सर्वाधिक है जहां प्रति एक हजार महिलाओं में 44 की मौत हो जाती है, जबकि पटना में यह सबसे कम 21 है. वहीं झारखंड में सर्वाधिक मातृ मृत्यु दर संताल परगना में प्रति एक हजार पर 28 मौत होती है, जबकि हजारीबाग, गिरिडीह धनबाद में यह दर सबसे कम 15 है.