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विवादास्पद जस्टिस कर्णन सेवानिवृत्त, कोई रस्मी विदाई समारोह नहीं

कोलकाता/नयी दिल्ली : कलकत्ता उच्च न्यायालय के विवादों से घिरे जस्टिस सीएस कर्णन का कार्यकाल साेमवारको समाप्त हो गया और उनके सेवानिवृत्त होने पर उन्हें कोई रस्मी विदाई नहीं दी गयी. 62 वर्षीय जस्टिस कर्णन को अदालत की अवमानना के मामले में उच्चतम न्यायालय ने छह माह कैद की सजा सुनायी थी और वह इस […]

कोलकाता/नयी दिल्ली : कलकत्ता उच्च न्यायालय के विवादों से घिरे जस्टिस सीएस कर्णन का कार्यकाल साेमवारको समाप्त हो गया और उनके सेवानिवृत्त होने पर उन्हें कोई रस्मी विदाई नहीं दी गयी. 62 वर्षीय जस्टिस कर्णन को अदालत की अवमानना के मामले में उच्चतम न्यायालय ने छह माह कैद की सजा सुनायी थी और वह इस मामले में नौ मई से गिरफ्तारी से बच रहे हैं. वह किसी उच्च न्यायालय के पहले ऐसे वर्तमान न्यायाधीश रहे जिन्हें उच्चतम न्यायालय ने जेल की सजा सुनायी है.

किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश को उच्च न्यायालय प्रशासन द्वारा विदाई दिये जाने की रस्म भी नहीं अदा की जा सकी क्योंकि जस्टिस कर्णन उपस्थित नहीं थे. कलकत्ता उच्च न्यायालय के रजिस्टार जनरल सुगत मजूमदार ने कहा, प्रशासन द्वारा विदाई समारोह आयोजित किया जाता है जिसमें न्यायाधीश और वरिष्ठ वकील होते हैं और परंपरा अनुरूप भाषण दिये जाते हैं. वह उपस्थित नहीं थे इसलिए यह नहीं हो सका. जस्टिस कर्णन के सेवानिवृत्ति लाभों के बारे में पूछे जाने पर मजूमदार ने कहा, सारी औपचारिकताएं कानून के अनुसार पूरी की जायेंगी. अधिवक्ता संघ (बार) भी सेवानिवृत्त हो रहे न्यायाधीश को विदाई देता है, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है.

अतिरिक्त महाधिवक्ता अभ्रतोष चौधरी ने कहा, अगर जस्टिस कर्णन होते तो बार इस बारे में विचार करता. एक प्रक्रिया होती है जिसमें सेवानिवृत्त हो रहे जज को निमंत्रण भेजा जाता है और अगर वह स्वीकार कर लेते हैं तो जरूरी बंदोबस्त किये जाते हैं. उन्होंने कहा, चूंकि हमें पता नहीं है कि वह कहां हैं, इसलिए विदाई का सवाल नहीं उठता.

कलकत्ता उच्च न्यायालय बार संघ की अध्यक्ष सुरंजना दासगुप्ता ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद बने अभूतपूर्व हालात और जस्टिस कर्णन की अनुपस्थिति की वजह से विदाई समारोह नहीं हो सका. भारत के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षतावाली सात न्यायाधीशों की पीठ ने जस्टिस कर्णन के खिलाफ गिरफ्तारी का अभूतपूर्व आदेश दिया था जिसके बाद से वह गिरफ्तारी से बच रहे हैं. कई प्रयासों के बावजूद जस्टिस कर्णन को शीर्ष अदालत की अवकाशकालीन पीठ से कोई राहत नहीं मिली है. पीठ ने जेल की सजा के आदेश पर रोक लगाने की उनकी याचिका को सुनने से इनकार कर दिया था.

उनके वकीलों ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भी संपर्क साधा, लेकिन अभी तक उन्हें कोई राहत नहीं मिली है. सात न्यायाधीशों की पीठ ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक से भी जस्टिस कर्णन को हिरासत में लेने को कहा था जो पिछले कई महीने से उच्चतम न्यायालय के साथ टकराव के रास्ते पर थे. छह महीने की जेल की सजा सुनाये जाने के बाद जस्टिस कर्णन ने 12 मई को शीर्ष अदालत में राहत की गुहार लगायी थी और कहा था कि ना तो उच्च न्यायालय और ना ही उनके न्यायाधीश शीर्ष अदालत के अधीन हैं.

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