नयी दिल्ली : कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में शंघाई को-ऑपरेशन संघटन (एससीओ) में पीएम नरेंद्र मोदी की नवाज शरीफ के साथ अनौपचारिक बातचीत के बाद भारत ने सोमवार को 11 पाकिस्तानी कैदियों को रिहा किया. इन कैदियों को बाघा बॉर्डर से उनके देश वापस भेजा गया. अधिकारियों की माने तो भारत ने ‘सद्भावना’ के तहत ऐसा किया.
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दरअसल, पाकिस्तान ने इस आधार पर इनकी रिहाई की मांग की थी कि ये सभी कैदी अपनी सजा पूरी कर चुके हैं. हाल में कुलभूषण जाधव मामले में तनातनी के बाद भारत की तरफ से यह पहला बड़ा कदम है.
गौर हो कि पाकिस्तान की ओर से सोमवार सुबह सीमा पर लगातार फायरिंग की गयी. पड़ोसी मुल्क ने नौशेरा सेक्टर और कृष्णा घाटी में सीजफायर का उल्लंघन किया. अपनी कायराना हरकत से बाज नहीं आते हुए पाकिस्तान ने आज भारतीय उप उच्चायुक्त को तलब किया. पाकिस्तान का आरोप है कि भारत की ओर से जवाबी कार्रवाई से उसके दो नागरिक मारे गए हैं.
11 पाकिस्तानी कैदियों की रिहाई इस मामले में भी अहम है क्योंकि अस्ताना में एससीओ सम्मेलन से इतर पीएम नरेंद्र मोदी और पाक पीएम नवाज शरीफ की अनौपचारिक मुलाकात हुई थी. पीएम मोदी ने शरीफ से उनकी सेहत का हाल-चाल लिया था और उनकी मां एवं परिजनों की कुशलक्षेम पूछा था. सूत्रों की माने तो नवाज शरीफ के ऑपरेशन के बाद पीएम मोदी की उनसे पहली मुलाकात थी इसलिए उनके स्वास्थ्य की जानकारी उन्होंने ली.
रिहाई के मामले को लेकर भारतीय अधिकारियों का कहना है कि मानवीयता के आधार पर इन कैदियों की रिहाई का कदम उठाया गया है. सरकार को आशा है कि इसके बाद पाकिस्तान भी ऐसे भारतीय कैदियों को रिहा कर देगा जिनकी वहां सजा पूरी हो चुकी है. सरकारी आंकड़ों की माने तो पाकिस्तानी जेलों में 132 भारतीय कैदी हैं. इनमें से 57 अपनी सजा पूरी कर चुके हैं. पाकिस्तान ने कहा है कि उनकी रिहाई से पहले भारत को उनकी राष्ट्रीयता के संबंध में पुष्टि करनी होगी.