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हॉर्मोन असंतुलन से होता है जोड़ों का दर्द
प्रौढ़ावस्था में मेनोपॉज के बाद महिलाओं को कई शारीरिक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों से गुजरना पड़ता है. ऐसी ही स्थितियों में एक प्रमुख लक्षण है- जोड़ों में होनेवाला दर्द. मेनोपॉज के प्रमुख लक्षण हैं- हॉट फ्लशेज, हड्डियों और बालों का कमजोर होना और अनेक प्रकार के दर्द. विशेषज्ञों के अनुसार मेनोपॉज के बाद आधे से अधिक […]
प्रौढ़ावस्था में मेनोपॉज के बाद महिलाओं को कई शारीरिक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों से गुजरना पड़ता है. ऐसी ही स्थितियों में एक प्रमुख लक्षण है- जोड़ों में होनेवाला दर्द.
मेनोपॉज के प्रमुख लक्षण हैं- हॉट फ्लशेज, हड्डियों और बालों का कमजोर होना और अनेक प्रकार के दर्द. विशेषज्ञों के अनुसार मेनोपॉज के बाद आधे से अधिक महिलाओं में कई प्रकार के जोड़ों के दर्द होते हैं. ये दर्द इम्यून सिस्टम में परिवर्तन और हॉर्मोन लेवल में असंतुलन के कारण होते हैं. एस्ट्रोजेन हॉर्मोन में कमी के कारण महिलाओं में सिरदर्द या फिर त्वचा और सिर में बिजली के झटके की तरह सनसनी हो सकती है. कई महिलाओं में जीभ में जलन की भी शिकायत होती है.
मेनोपॉज के कारण जोड़ों में होनेवाला दर्द अक्सर ऑस्टियोपोरोसिस या बोन डेंसिटी में कमी से होता है. ये समस्याएं एस्ट्रोजेन लेवल में कमी से होती हैं. हड्डियों का कमजोर होना मेनोपॉज के शुरुआती वर्षो में तेजी से होता है. बाद के वर्षो में क्षति की दर धीमी हो जाती है. इसके कारण फ्रैर की आशंका बढ़ जाती है. चलने संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं. इसके कारण जोड़ों में होनेवाले दर्द के कारण काम-काज करने में भी परेशानी होती है. एस्ट्रोजेन हॉर्मोन की कमी जोड़ों में दर्द का एक प्रमुख कारण अवश्य है, लेकिन इसके अलावा भी कई कारण हैं, जिनसे दर्द की समस्या होती है, जैसे-जोड़ों में चोट लगना, व्यायाम कम करना, गलत पहनावे के कारण, मेटाबॉलिक डिसऑर्डर, तनाव, हड्डी के रोग या फिर कैंसर के कारण भी दर्द की समस्या हो सकती है.
इन उपायों से करें बचाव
मेनोपॉज के बाद यदि जोड़ों में दर्द अधिक हो, तो डॉक्टर से इसकी जांच कराना चाहिए. यदि ऑस्टियोपोरोसिस हो, तो इससे संबंधित उपचार अपनाना चाहिए. इसमें डॉक्टर मल्टीविटामिन के सेवन की सलाह देते हैं. इस रोग में कैल्शियम की अधिक आवश्यकता होती है. दूध का सेवन अधिक करें. इसके अलावा कैल्शियम युक्त पदार्थो का सेवन करें.
विटामिन डी : कैल्शियम को पचाने के लिए विटामिन डी लेने की आवश्यकता होती है. अमेरिका के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन के मुताबिक 70 वर्ष तक के सभी वयस्कों को विटामीन डी रोज 600 आइयू लेनी चाहिए.
70 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को विटामिन डी की 800 आइयू की जरूरत पड़ती है. विटामिन डी की थोड़ी- बहुत पूर्ति रोजाना 20 मिनट धूप लेकर भी की जा सकती है. साल्मोन मछली, अंडे व कुछ खास अनाजों से भी विटामिन डी को प्राप्त किया जा सकता है.
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