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संतुलित खान-पान से कम कर सकते हैं ब्रेन स्ट्रोक की आशंका

डॉ विपुल गुप्ता डायरेक्टर, अग्रिम इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो साइंसेज आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम लाइफस्टाइल की खराब आदतों, खासकर खान-पान की खराब आदतें जैसे कि जंक फूड, मीट और अंडे आदि के कारण पिछले एक दशक में स्ट्रोक, कोरोनरी धमनी व ब्रेन हेमरेज के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी गयी है. खराब जीवनशैली की आदतों में […]

डॉ विपुल गुप्ता
डायरेक्टर, अग्रिम इंस्टीट्यूट
ऑफ न्यूरो साइंसेज
आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम
लाइफस्टाइल की खराब आदतों, खासकर खान-पान की खराब आदतें जैसे कि जंक फूड, मीट और अंडे आदि के कारण पिछले एक दशक में स्ट्रोक, कोरोनरी धमनी व ब्रेन हेमरेज के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी गयी है.
खराब जीवनशैली की आदतों में तनाव, धूम्रपान, शराब का अत्यधिक सेवन, जंक फूड का सेवन और शारीरिक गतिविधि में कमी आदि शामिल हैं, जो भविष्य में स्ट्रोक का कारण बनती हैं, जबकि एक हेल्दी डाइट स्ट्रोक के 80 प्रतिशत मामलों को रोकने में मदद करती है.
स्ट्रोक की रोकथाम में हेल्दी डाइट की भूमिका : जोखिम के कारकों की पहचान के साथ एक हेल्दी डाइट स्ट्रोक की रोकथाम में एक अहम भूमिका निभाती है.
हेल्दी डाइट न केवल स्ट्रोक के जोखिम कारकों को कम करने में मदद करती है, बल्कि समग्र स्वास्थ्य को भी सही रखने में मदद करती है. स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों में उच्च रक्तचाप, डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर शामिल हैं, जो हेल्दी डाइट की मदद से संतुलित रखे जा सकते हैं.
उच्च रक्तचाप को रोकने के लिए डाइट : विशेष आहार या पोषक तत्वों के सेवन की लिमिट को तय करने से कोई फायदा नहीं है. ऐसी कई डाइट गाइडलाइंस हैं, जो पूरे डाइट पैटर्न के पालन की सलाह देती हैं.
इन गाइडलाइंस के अनुसार, मीट का सेवन कम-से-कम करना चाहिए और ताजा फल व सब्जियों का अधिक-से-अधिक सेवन करना चाहिए. सब्जियां, फल और कम वसा वाले डेयरी फूड (दूध, दही आदि) के साथ कम फैट वाला आहार उच्च रक्तचाप के स्तर को कम करने में मदद करता है.
अपने खाने में मछली, गेहूं, नट्स और पोल्ट्री को शामिल करें और रेड मीट, मिठाई और चीनी वाले जूस या कोल्ड ड्रिंक आदि का सेवन कम कर दें. यह डाइट प्लान सही पोषण की मदद से रक्तचाप को संतुलित बनाये रखने में मदद करता है. यदि उच्च रक्तचाप को केवल हेल्दी डाइट और मेडिकेशन से रोका जा सकता है, तो स्ट्रोक के 90 प्रतिशत मामलों को भी रोका जा सकता है.
शाकाहारी आहार को अपनाने की जरूरत : इस तरह के आहार में फैट कम नहीं होता है, लेकिन यह कम ग्लाइसेमिक वाला आहार होता है, जिसमें मात्र 40 प्रतिशत कैलोरी होती है.
इससे केवल लाभकारी वसा मिलती है जैसे- जैतून व कनोला तेल से मिलने वाली वसा शरीर के लिए फायदेमंद होती है. इसके अलावा कैलोरी गेहूं, फल, सब्जियां और फलियां आदि से मिलती है. डायबिटीज और उच्च रक्तचाप वाले मरीजों में स्ट्रोक होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है. डायबिटीज रक्त वाहिकाओं और नसों को नुकसान पहुंचा सकती हैं, जो स्ट्रोक का कारण बनती है.
विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, दालचीनी, मेथी के बीज, हल्दी की चाय, जीरा, लहसुन, इलायची, सौंफ, अदरक, आंवला, पालक, लौकी, फाइबर युक्त आहार, बादाम, करेला आदि चीजों को अपनी डाइट में शामिल करने से स्ट्रोक के खतरे में 47 प्रतिशत कमी लायी जा सकती है. रिपोर्ट्स के अनुसार, कोलेस्ट्रॉल का सेवन कम-से-कम किया जाना चाहिए. मछली या चिकन की तुलना में रेड मीट में फैट चार गुना ज्यादा होता है, जो स्ट्रोक के खतरे को अधिक बढ़ाता है.
स्ट्रोक के शुरुआती लक्षणों व संकेत को न करें नजरअंदाज, जल्दी-से-जल्दी अस्पताल पहुंचें
शुरुआती लक्षण और संकेत
देखने में अचानक दिक्कत होना
चक्कर आना
चलने में अचानक तकलीफ
बोलने में दिक्कत
चेहरे में अचानक संवेदनशून्यता का आभास
तेज सिरदर्द
अचानक भ्रम की स्थिति व समझने में दिक्कत
बांह में अचानक संवेदन शून्यता या कमजोरी
नोट : आमतौर पर सबाराकनॉइड हेमरेज में बिना वजह अचानक भयंकर सिरदर्द होने लगता है. इसके साथ ही उल्टी, दौरा या मानसिक चेतना का अभाव जैसी शिकायतें भी होती हैं. इन मामलों में नॉन-कॉन्ट्रास्ट सीटी स्कैन तत्काल करा लेना चाहिए.
स्ट्रोक के मरीज कैसी डाइट का पालन करें
जिन मरीजों में स्ट्रोक की आशंका अधिक है, उन्हें मीट, रेड मीट और अंडे के पीले हिस्से के सेवन से बचना चाहिए. उन्हें लाभकारी तेल जैसे- जैतून और कनोला के तेल, गेहूं, सब्जियां, फलों और फलियों को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए. अंडे का सफेद हिस्सा प्रोटीन का अच्छा स्रोत होता है, इसलिए ऑमलेट और अंडे व सलाद से बने सैंडविच का सेवन करना चाहिए. बस ध्यान रखें कि उसमें अंडे का पीला हिस्सा नहीं होना चाहिए.
शराब का सेवन करने से बचें
शराब ब्रेन हेमरेज का खतरा बढ़ाता है. शराब से रक्तचाप का स्तर भी बढ़ता है, जिससे धमनी की अंदरूनी दीवार को नुकसान पहुंचता है. इसका यह मतलब है कि मस्तिष्क में खून का प्रवाह कम हो जाता है. शराब के अधिक सेवन से हृदय को भी नुकसान पहुंचता है, जिससे धड़कनों में गड़बड़ी की समस्या होती है. इसके परिणामस्वरूप, हृदय में थक्के बन सकते हैं, जिससे मस्तिष्क में खून का प्रवाह कम हो सकता है.
धूम्रपान करना बंद करें
स्ट्रोक निकोटिन से नहीं, बल्कि धुएं से होता है. आपको जान कर आश्चर्य होगा कि धूम्रपान स्ट्रोक के खतरे को तीन गुना बढ़ा देता है, इसलिए इसका सेवन बंद करना आवश्यक है. जब आप धूम्रपान करते हैं, आप धुएं को अंदर लेते हैं, जिसमें 7000 से ज्यादा जहरीले केमिकल मिले होते हैं. ये केमिकल आपके फेफड़ों से गुजरते हुए आपके पूरे शरीर के खून में मिल जाते हैं, जो शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती हैं.
4 से 5 घंटे के अंदर स्ट्रोक का उपचार संभव
स्ट्रोक का उपचार के लिए यह जानना सबसे जरूरी है कि स्ट्रोक किस प्रकार का है व इससे मस्तिष्क का कौन-सा भाग प्रभावित हुआ है. इसके अलावा जल्दी-से-जल्दी मरीज को अस्पताल ले जाने की जरूरत होती है.
स्ट्रोक के द्वारा जो नुकसान होता है, उसे रोकने के लिए क्लॉट बस्टिंग ड्रग्स के पास 4 से 5 घंटे से कम का समय होता है. जिन मरीजों के मस्तिष्क की बड़ी धमनियां ब्लॉक हो गयी हैं, उनके लिए मेकैनिकल थ्रॉम्बेक्टोमी की सलाह सबसे अधिक दी जाती है. ब्लॉक हुई धमनियों को खोलने के लिए, डॉक्टर मूल क्षेत्र की धमनी से मस्तिष्क के प्रभावित क्षेत्र के लिए एक केथेटर डालते हैं.
स्टेंट खुलता है और क्लॉट को जकड़ लेता है, डॉक्टर उस स्टेंट को क्लॉट सहित बाहर निकाल लेते हैं. इसके लिए खास सक्शन ट्यूब का भी प्रयोग होता है. यह प्रक्रिया स्ट्रोक के गंभीर लक्षणों के 6 घंटे के अंदर की जानी चाहिए. 80 प्रतिशत से अधिक मरीजों में ब्लॉकेज को खोल दिया जाता है और धमनियों में प्रवाह को पुन: स्थापित कर दिया जाता है. इससे लगभग 60 प्रतिशत मरीजों की हालत में तेजी से सुधार आता है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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