वैज्ञानिक बताते हैं कि अल्जाइमर या डिमेंशिया जैसी बीमारियां होने सेपहले ही दिमाग में खतरनाक बदलाव आने लगते हैं. तभी लोगों के पास अपने दिमाग की सेहत सुधारने का मौका होता है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजिंग के अनुसार तीन तरह के उपाय करके दिमाग की सेहत को दुरुस्त रखा जा सकता है. इनमें से पहला है अधेड़ उम्र आते-आते अपने ब्लड प्रेशर का खास ख्याल रखना.
हाइ बीपी से हर हाल में बचना, क्योंकि इससे दिल के साथ दिमागी बीमारियों के होने का खतरा भी बढ़ जाता है. इससे बचने के लिए शारीरिक गतिविधि बढ़ाना जरूरी है. हमें यह समझना चाहिए कि जो व्यायाम या शारीरिक गतिविधियां दिल की बीमारियों में काम आती हैं, वे दिमाग की सेहत के लिए भी अच्छी होती हैं. कॉग्नीटिव ट्रेनिंग या ब्रेन एक्सरसाइज कहे जानेवाले खास तरह के ट्रेनिंग प्रोग्राम कर दिमाग में स्पर्श, गंध, पहचान, तर्क और याददाश्त को बेहतर बनाया जा सकता है. हालांकि, कई विशेषज्ञ इन ब्रेन एक्सरसाइज को ब्रेन गेम से अधिक नहीं मानते.
उनका मानना है कि भले ही इससे तुरंत फायदा महसूस होता हो, लेकिन बड़ी बीमारियों में इनसे बहुत अधिक मदद मिलने के साक्ष्य नहीं हैं. अब तक जिस चीज का सबसे अधिक फायदा साबित हुआ है, वह है सामाजिक और सामूहिक गतिविधियों में शामिल होना. इसके अलावा नयी भाषा सीखने को कुछ सबसे प्रभावी दिमागी व्यायामों में से एक माना गया है.