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डॉक्टर्स डे आज : दक्षता-विश्वास से होगा सस्ता इलाज
डॉक्टरों ने कहा कि विद्यार्थियों को क्लिनिकली साउंड होना होगा यह दिन भारतीय चिकित्सक डॉ. विधानचंद्र राॅय के जन्म दिवस पर मनाया जाता है. डॉक्टरी ही एक ऐसा पेशा है, जिस पर लोग विश्वास करते हैं. इसे बनाये रखने की जिम्मेदारी सभी डॉक्टरों पर है. आज का सबसे बड़ा सवाल यह है कि इलाज सस्ता […]
डॉक्टरों ने कहा कि विद्यार्थियों को क्लिनिकली साउंड होना होगा
यह दिन भारतीय चिकित्सक डॉ. विधानचंद्र राॅय के जन्म दिवस पर मनाया जाता है. डॉक्टरी ही एक ऐसा पेशा है, जिस पर लोग विश्वास करते हैं. इसे बनाये रखने की जिम्मेदारी सभी डॉक्टरों पर है. आज का सबसे बड़ा सवाल यह है कि इलाज सस्ता कैसे हो? इस मुद्दे पर डॉक्टरों से बातचीत की. उनसे पूछा गया कि कम पैसे में बेहतर सुविधा कैसे मिले? इसके जवाब में कुछ महत्वपूर्ण बातें सामने आयी. सीनियर डॉक्टरों ने कहा कि देश में स्किल्ड डॉक्टरों की कमी हो गयी है. उनके पास दवा चयन करने की क्षमता नहीं है.
जो बीमारी एक-दो दवा में ठीक हो सकती है, उसकी जगह दवा का लोड बढ़ा दिया जा रहा है. इसका कारण है पढ़ाई के दौरान क्लिनिकल साउंड नहीं होना. सस्ता इलाज के लिए डॉक्टरों को अपनी दक्षता बढ़ानी होगी.साथ ही दौलत कमाने की जो भूख है, उसे कम करना होगा. सरकार को ग्रामीण इलाकों में सुविधा बढ़ानी होगी. साथ ही डॉक्टरों और मरीजों के बीच जो आज विश्वास की कमी आयी है, उसे भी मजबूत बनाना होगा.
– डॉ केके सिन्हा, वरिष्ठ न्यूरो फिजिशियन
मरीज पर अनावश्यक दवा
का लोड नहीं डालें डॉक्टर
डॉ केके सिन्हा कहते हैं कि महंगा इलाज का कारण यह है कि अब इलाज डायग्नोस्टिक बेस्ड हो गया है. डायग्नोस्टिक सिस्टम से डॉक्टर और मरीज दोनों को फायदा है. कई बार तो डॉक्टर अपनी सुरक्षा हित में जांच करा लेता है, क्योंकि बाद में मरीज कंज्यूमर फोरम में चला जाता है.
उन्होंने कहा कि इलाज तभी सस्ता हो सकता है जब डॉक्टर मरीज पर अनावश्यक दवाओं का लोड नहीं डालें. डॉक्टरों में कम से कम दवाओं से मरीज को ठीक करने की क्षमता अपने अंदर लानी होगी. हम तो मरीजों को एक या दो दवा ही लिखते हैं. इससे मरीज को आराम भी मिलता है. इसके लिए अपने अंदर सही डाइग्नोस करना होगा. मेडिकल एजुकेशन को ठीक करना होगा. मेडिकल छात्र शिक्षा को सरलता से लेते हैं. उनमें गहनता के साथ शिक्षण का जज्बा ही नहीं है.
– डॉ पीएन सिंह, वरिष्ठ फिजिशियन
मेडिकल एजुकेशन में
बदलाव लाने की है जरूरत
देश में स्किल्ड डॉक्टरों की कमी हो गयी है. अच्छी तरह प्रशिक्षित नहीं होने का खामियाजा मरीजों को ही भुगतना पड़ता है. मरीजों पर दवाओं का लोड बढ़ जाता है. इससे मरीज पर इलाज का खर्च बढ़ जाता है.
वर्तमान परिवेश में सस्ता इलाज का दावा करना थोड़ा कठिन है, लेकिन ऐसा नहीं कि यह संभव भी नहीं है. सस्ती चिकित्सा सेवा के लिए मेडिकल एजुकेशन में बदलाव लाने की आवश्यकता है. विद्यार्थियों को क्लिनिकल साइड में साउंड करना होगा. इससे मरीज पर पैसाें का भार कम होने लगेगा. मरीज जब डॉक्टर के पास आयेंगे, तो वह दवाओं का सही चयन कर पायेंगे. डॉक्टर में इतनी क्षमता होगी कि वह एक-दो दवा से मरीज को राहत दिला पायेगा. हालांकि समाज में भी जागरूकता व मानसिकता में बदलाव की जरूरत है.
– डॉ संजय कुमार, कार्डियक सर्जन
पहले जेनरल फिजिसियन
के पास जायें मरीज
डॉ संजय कुमार कहते हैं : सस्ता इलाज नहीं होने के पीछे आम आदमी भी कारण है. मैंने मेडिकल प्रैक्टिस में यह देखा है कि मरीज हल्की बीमारी में विशेषज्ञ डॉक्टर के पास पहुंच जाता है. इन डॉक्टर्स की फीस भी अधिक होती है. वह अपने तरीके से जांच भी कराते हैं.
दवाओं का लोड़ बढ़ जाता है. उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति की चेस्ट में भारीपन है और हल्का दर्द हो रहा है, तो वह सीधे कार्डियोलॉजिस्ट के पास पहुंच जाता है. कार्डियोलॉजिस्ट इसीजी, इको, टीएमटी व खून जांच का परामर्श कर देता है, क्योंकि वह अपने स्तर से संतुष्ट होना चाहता है. मरीज को चाहिए कि वह सबसे पहले अपने नजदीक के फिजिसियन या मेडिकल ऑफिसर के पास जाये. फीस भी कम होगी. अनावश्यक जांच का भार भी नहीं पड़ेगा. दवाओं का लोड भी कम हो जायेगा.
– डॉ वीके जैन, वरिष्ठ सर्जन
कॉरपोरेट अस्पतालों के कारण इलाज हो गया है महंगा
डॉ वीके जैन कहते हैं कि इलाज महंगा होने में सबसे बड़ा हाथ कॉरपोरेट अस्पतालों का है. डॉक्टरों की फीस, अनावश्यक जांच और दवाओं का लोड कॉरपोरेट कल्चर के कारण बढ़ा है. इसका दुष्प्रभाव मरीज व डॉक्टर के रिश्ते पर पड़ा है. मरीज डाॅक्टर को व्यवसायी मानने लगा है. डाॅक्टरों की मानसिकता भी बदल गयी है. वह भी कॉरपोरेट कल्चर में ढलते जा रहे हैं. फीस बढ़ाते चले जा रहे हैं. दवाइयां महंगी हैं. इसके लिए कंपनी व सरकार दोनों दोषी है. सरकार चाहे, तो कंपनियों को निर्देश दे सकती है कि कोई ब्रांडेड कल्चर नहीं होगा. जेनेरिक दवाएं ही बनानी हैं.
– डॉ बीएल शेरवाल, निदेशक रिम्स
हेल्थ पॉलिसी का
सही अनुपालन जरूरी
हेल्थ पॉलिसी का सही से अनुपालन हो जाये, तो इलाज सस्ता व सुलभ हो जायेगा. अमीर व गरीब मरीज का इलाज सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों में हो पायेगा. सरकार की कई योजनाएं चल रही हैं, जिसका उद्देश्य निचले स्तर के लोगों तक बेहतर स्वास्थ्य मुहैया कराना है. गरीब या अमीर सबकी जान कीमती है. निजी व कॉरपोरेट अस्पतालों को इसका ज्यादा ख्याल रखने की जरूरत है. वह यह अवश्य सोचें कि गरीब मरीज भी उसके लिए उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना अमीर.
– डॉ एसपी मुखर्जी, फिजिशियन
डॉक्टरों में नैतिकता औरसिद्धांत की कमी आयी है
जहां राजधानी में डॉक्टरों की फीस 2,000 रुपये तक है, वहीं डॉ एसपी मुखर्जी आज भी पांच रुपये में मरीजों को परामर्श देते हैं. डॉ मुखर्जी प्रतिदिन 40 से 50 मरीज को परामर्श देते हैं.
सस्ते इलाज पर कहते हैं कि आज के डॉक्टरों में नैतिकता व सिद्धांत की कमी हो गयी है. सहानुभूति छाेड़ कर डॉक्टर पैसे के भूखे हो गये हैं. दौलत कमाने की भूख है, जो समाप्त नहीं हो रही है. इसके लिए फीस बढ़ाना, जांच में कमीशन लेना व दवा कंपनियों से सांठगांठ का प्रचलन बढ़ गया है. वे कहते हैं कि पांच रुपये में परामर्श देने पर कई डॉक्टर उनसे नाराज भी हैं.
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