29.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

MBBS के 16 साल बाद डॉक्टर ने किया सैलरी का खुलासा, ट्वीट वायरल

हैदराबाद के एक डॉक्टर ने एक ट्वीट किया है इस ट्वीट में उन्होंने अपने वेतन का खुलासा किया है. Apollo अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर कुमार ने कहा कि- डॉक्टर का जीवन मितव्ययी होना चाहिए यह जानने के बाद उन्होंने केवल उसी के साथ जीना सीखा जो जरुरी था.

आप सभी के दिमाग में यह सवाल कभी न कभी तो आया ही होगा कि आखिर एक डॉक्टर की सैलरी कितनी होती है. आखिर वह महीने में कितने रुपये कमा लेता है. हैदराबाद के एक डॉक्टर ने खुलासा किया कि लगभग 16 साल पहले MBBS पूरा करने के बाद भी उन्हें 9,000 रुपये का सैलरी मिला था. Apollo हॉस्पिटल्स के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर कुमार ट्विटर पर चर्चा कर रहे थे कि कैसे उन्होंने यह सीखने के बाद कि डॉक्टर का जीवन किफायती होना चाहिए और केवल उसी के साथ जीना सीखा जो जरुरी था.

ट्वीट कर किया खुलासा

न्यूरोलॉजिस्ट ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर एक ट्वीट किया और बताया कि- 20 साल पहले मैं भी एक युवा बिजनेसमैन था. DM Neurology (2004) के 4 साल बाद मेरी सैलरी 9,000 रुपये प्रतिमाह थी. यह MBBS में शामिल होने के 16 साल बाद था. CMC Vellore में अपने प्रोफेसरों को देखकर मैंने महसूस किया कि डॉक्टर का जीवन किफायती होना चाहिए और मिनिमम चीजों के साथ जीना सीखा. बता दें वह एक ट्वीट का जवाब दे रहे थे जिसमें कहा गया था कि- एक युवा व्यवसायी के लिए समाज सेवा करना मुश्किल है जब वह खुद को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा हो.


कम सैलरी पर मां की कैसी थी प्रतिक्रिया

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने बताया कि उनकी मां को उनके कम वेतन के बारे में कैसा लगा. डॉक्टर सुधीर कुमार ने बताया- मैं उस सैलरी से खुश था, हालांकि, मेरी मां को यह देखकर दुख हुआ कि मुझे सरकारी कार्यालय (जहां मेरे पिता काम करते थे) में एक चपरासी के बराबर वेतन मिलता है. उन्होंने मुझे 12 साल तक स्कूली शिक्षा में कड़ी मेहनत करते और उसके बाद 12 साल तक MBBS, MD और DM के लिए मेहनत करते देखा था. डॉक्टर कुमार ने आगे बताते हुए कहा कि- आप एक मां के प्यार और दर्द को समझ सकते हैं!

परिवार से हो गए थे दूर

डॉक्टर सुधीर कुमार ने आगे बताते हुए यह भी कहा कि- जब वह पढ़ाई कर रहे थे तो लंबे समय तक कोई भी उसे देखने नहीं आ सकता था. वे 17 साल की उम्र में, इंटरव्यू के लिए अकेले बिहार से वेल्लोर (तमिलनाडु) से ट्रेन से यात्रा की (क्योंकि माता-पिता अपने नाबालिग बेटे के साथ आर्थिक रूप से वहन नहीं कर सकते थे). केवल यहीं नहीं आगे उन्होंने कहा कि- 5 साल तक घर से कोई भी मुझे देखने नहीं आ सका. मैंने खुद एडमिशन लिया और 5 साल से अधिक समय तक सब कुछ अपने दम पर मैनेज किया.

दो जोड़ी कपड़े और उधारी के किताब

अपनी स्थिति के बारे में बताते हुए, डॉ कुमार ने एक अन्य ट्वीट में बताया- MBBS के दौरान किसी भी समय उनके पास कपड़ों के केवल दो सेट ही थे. सीनियर स्टूडेंट्स से पुराने एडिशन की किताबें उधार लीं (केवल पुस्तकालय में नए एडिशन तक पहुंच सकते थे). उन्होंने बाहर भोजन भी नहीं किया और न ही रेस्तरां गए और न ही फिल्में देखीं उन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया और न शराब पी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें