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टीबी मुक्त भारत: स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया ने वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन की प्रतिबद्धता दोहरायी

हम एसडीजी-2030 द्वारा निर्धारित लक्ष्य से पांच साल पहले वर्ष 2025 तक टीबी को खत्म करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए दृढ़ और प्रतिबद्ध हैं.

नयी दिल्ली: सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी)-2030 द्वारा निर्धारित लक्ष्य से पांच साल पहले 2025 तक क्षय रोग (टीबी) को खत्म करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बृहस्पतिवार को कहा कि 360 डिग्री समग्र दृष्टिकोण देश में टीबी उन्मूलन की आधारशिला है. विश्व क्षय रोग दिवस-2022 पर आयोजित एक कार्यक्रम में मंडाविया ने कहा कि समाज और सरकार को बीमारी के खिलाफ लड़ाई जीतने के लिए सहयोग करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) या सिविल सोसाइटी संगठनों (सीएसओ) और अन्य हितधारकों को यह विश्वास करने की जरूरत है कि ‘टीबी मुक्त भारत’ के लिए काम करना उनका कर्तव्य है. उन्होंने कहा, ‘हम एसडीजी-2030 द्वारा निर्धारित लक्ष्य से पांच साल पहले वर्ष 2025 तक टीबी को खत्म करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए दृढ़ और प्रतिबद्ध हैं. सभी राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों के सक्रिय प्रयासों और कार्यक्रम के निरंतर मार्गदर्शन के माध्यम से हमारे देश के नेतृत्व द्वारा, कार्यक्रम चुनौतीपूर्ण समय से आगे बढ़ा है.’

कोविड-19 की तरह टीबी से लड़ने की जरूरत

कोविड-19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों का उल्लेख करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘दो वर्षों से अधिक समय से हम टीबी की मौजूदगी के अलावा वैश्विक महामारी का सामना कर रहे हैं. दोनों रोग अत्यधिक संक्रामक, हवा जनित हैं और परिवारों तथा समुदायों को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं, आइए हम जनआंदोलन और जनभागीदारी के माध्यम से टीबी के खिलाफ अपनी सामूहिक लड़ाई में विभिन्न हितधारकों तथा भागीदारों को शामिल करें, ठीक उसी तरह जैसे हमने कोविड-19 के खिलाफ अपनी लड़ाई में सहयोग किया है.’

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श्री मंडाविया ने आगे सुझाव दिया कि बच्चों को गोद लेने के अलावा हम वहां के स्थानीय प्रशासन की मदद से ब्लॉक और जिलों को अपनाने के लिए एक कदम और आगे बढ़ सकते हैं. हमने देश भर में मरीजों की पहचान, उपचार और सहायता की एक प्रणाली विकसित की है. नयी उन्नत प्रौद्योगिकियां और उपचार के तौर-तरीके सामने आ रहे हैं, जिनका उपयोग टीबी के खिलाफ हमारी लड़ाई में किया जा सकता है.

स्टेप अप टू एंड टीबी

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सेवा वितरण प्रणाली, कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणाली, ई-फार्मेसी और टेलीमेडिसिन जैसी डिजिटल सुविधाओं का उपयोग टीबी उन्मूलन की दिशा में किया जा सकता है. डिजिटल तरीके से ‘स्टेप अप टू एंड टीबी’ कार्यक्रम का उद्घाटन करने वालीं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि 2025 तक टीबी को खत्म करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी पृष्ठभूमि के लोगों को साथ लाकर जनआंदोलन के लिए एक सामाजिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है.

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टीबी निगरानी के लिए ‘जीनोम सीक्वेंसिंग कंसोर्टियम’

आनंदी बेन पटेल ने सभी के लिए पर्याप्त पोषण सुनिश्चित करने, जागरूकता पैदा करने और बीमारी से जुड़े किसी भी सामाजिक कलंक को दूर करने की दिशा में प्रयास करने का आग्रह किया. उन्होंने बीमारी से पीड़ित बच्चों और उनके परिवारों के सामने आने वाली चुनौतियों का भी उल्लेख किया. विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने ‘टीबी उन्मूलन को चुनौती’ कार्यक्रम शुरू किया, जो भारतीय डेटा पर आधारित होगा. डब्ल्यूएसजी टीबी निगरानी के लिए ‘जीनोम सीक्वेंसिंग कंसोर्टियम’ का भी गठन होगा.

Posted By: Mithilesh Jha

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