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Exclusive: कई बार ऑडिशन भी नहीं देने देते थे बाहर से ही ना कह देते थे- वरुण शर्मा

Exclusive :फुकरे, छिछोरे, रुही जैसी फिल्मों में अपने अभिनय से एक लोकप्रिय नाम बन चुके अभिनेता वरुण शर्मा जल्द ही सोनी लिव की वेब सीरीज चुट्ज़पाह से ओटीटी प्लेटफार्म में अपनी शुरुआत करने जा रहे हैं. यह सीरीज मौजूदा दौर में सोशल मीडिया और इंटरनेट की प्रासंगिकता को दर्शाती है. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत

Exclusive :फुकरे, छिछोरे, रुही जैसी फिल्मों में अपने अभिनय से एक लोकप्रिय नाम बन चुके अभिनेता वरुण शर्मा जल्द ही सोनी लिव की वेब सीरीज चुट्ज़पाह से ओटीटी प्लेटफार्म में अपनी शुरुआत करने जा रहे हैं. यह सीरीज मौजूदा दौर में सोशल मीडिया और इंटरनेट की प्रासंगिकता को दर्शाती है. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत

ओटीटी में शुरुआत को लेकर कितने उत्साहित हैं?

मैं खुश हूं कि चुट्जपाह जैसे शो से मुझे डेब्यू करने का मौका मिल रहा है क्योंकि इसमें बहुत सारी अतरंगी चीज़ें हैं. डिजिटल वर्ल्ड में क्या क्या होता है. मेरा किरदार विकास का है. हसाउंगा ज़रूर लेकिन किरदार का ग्राफ काफी अलग है. अब तक फिल्मों में जो किया है उससे बिल्कुल अलग लेकिन शूटिंग के वक़्त घर जैसी फीलिंग थी. फुकरे की निर्देशक मृगदीप इस सीरीज के लेखक है. मेडोक प्रोडक्शन हाउस की भी यह ओटीटी डेब्यू है.

इस वेब सीरीज का सबसे लोकप्रिय चेहरा आप हैं तो प्रेशर है?

मुझे लगता है कि प्रेशर सब पर बराबर ही है फिर चाहे जो इस शो से डेब्यू कर रहे हैं. हां अलग टाइप का प्रेशर होगा लेकिन हां प्रेशर होगा ज़रूर. हर प्रोजेक्ट के साथ प्रेशर जुड़ा ही रहता है. अब तक दर्शकों ने मुझे फिल्मों में बहुत प्यार दिया है. ओटीटी पर भी मुझे सराहे यही चाहता हूं.

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इस सीरीज में आपका किरदार लांग डिस्टेंस रिलेशनशिप में हैं, क्या आपका होमवर्क था

लांग डिस्टेंस रिलेशनशिप में मैं सालों पहले था. वैसे अपने दोस्तों और आसपास देखा है. कई लोग हैं जो लांग डिस्टेंस रिलेशनशिप में हैं. ये बात जानता हूं कि अगर प्यार सच्चा है तो इंसान कुछ ना कुछ करके अपने रिलेशनशिप को कामयाब रखता ही है. फिजिकल प्रेजेंस और वर्चुअल प्रजेंस में बहुत अंतर हैं तो उसकी वजह से आपके निजी रिश्तों में परेशानी नहीं आनी चाहिए. यही इस सीरीज में विकास और शिखा की कहानी के ज़रिए दिखाया गया है।

आप रिलेशनशिप में हैं या सिंगल हैं?

मैं सिंगल हूं. फिलहाल कैरियर पर मेरा फोकस है लेकिन इसके साथ ही ये भी कहूंगा कि अगर इस जर्नी में किसी के साथ कम्पेटिबिलिटी मैच होती है तो रिलेशनशिप में जाने में मुझे कोई एतराज नहीं है. मेरा पार्टनर किसी भी फील्ड से हो मुझे ऐतराज नहीं हैं. बस कम्पेटिबिलिटी मिलनी चाहिए.

इंटरनेट आज हमारी ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन गया इंटरनेट से जुड़ी आपकी शुरुआती यादें क्या रही हैं?

जब मैं स्कूल में था तो मैं साइबर कैफे जाता था. उस वक़्त नया नया इंटरनेट आया था. घरवाले छोले भटूरे खाने के लिए पैसे देते थे लेकिन उसको बचाकर आधे घंटे के इंटरनेट के इस्तेमाल में खर्च करते थे. चैटरूम हुआ करते थे.आप अलग अलग देशों के लोगों के बात कर सकते थे. मैं खुद उस टाइम पर ज़्यादा कूल बनने के लिए अमेरिका में लोगों से चैट करता था और उनको बोलता था कि मैं अमेरिका में ही रहता हूं. मेरा ये नाम है. स्कूल जाकर मैं दोस्तों को सामने इम्प्रेशन मारता था कि आज मैंने फ्लोरिडा के दोस्त बनाए. आज मैंने मियामी के दोस्त बनाए. उस वक़्त कूल लगता था अब सोचकर लगता है कि कितना बेवकूफ था.

इंडस्ट्री में आप पॉपुलर नाम बन चुके हैं लेकिन क्या कभी लगता है कि सही मार्गदर्शन या गॉड फादर होता तो आपका कैरियर एक अलग ही मुकाम पर होता था?

मैं बहुत खुश हूं. मैं जहां पर भी पहुंचा हूं क्योंकि ये मेरी खुद की जर्नी है. जब मैं इंडस्ट्री में आया था तो ना कोई मुझे जानता था ना मैं किसी को. जो भी सफलता हासिल की है खुद के दम पर किया है . अब तक चीज़ें बनती गयी हैं. आगे भी बनती जाएंगी. मैं किसी गॉड फादर की कमी को महसूस नहीं करता हूं.

लीडिंग एक्टर इस टैग को आप मिस करते हैं?

लीडिंग एक्टर मेरे हिसाब से उसको कहते हैं जो ट्रेलर का हिस्सा हैं. पोस्टर का हिस्सा है. जो कहानी की अहम धुरी है. फुकरे से रुही तक मैं पोस्टर में रहा हूं. अभी फिल्मों की परिभाषाएं बदल गयी हैं. अभी किरदारों की दुनिया है फिल्में. बड़े से बड़ा एक्टर को अभी किरदार ही बनना है. अगर आप ये पूछेंगी कि मैं सोलो हीरो वाली फिल्म को मिस करता हूं तो मेरे लिए किरदार और उसकी जर्नी महत्वपूर्ण है. मुझे सोलो कोई फ़िल्म मिल रही है तो मैं उसे ऐसे ही नहीं कर लूंगा क्योंकि मैं सोलो हीरो हूं. मेरे लिए किरदार और कहानी अहम है फिर चाहे चार हीरो वाली फिल्म हो या दो.

आपने रिजेक्शन भी करियर में झेला है, किस तरह से खुद को मोटिवेट करते थे?

जब शुरुआती दौर था. मैं ऑडिशन देता था और रिजेक्ट हो जाता था. कई बार तो मुझे बाहर से ही बोल दिया जाता था कि मैं इस किरदार के लिए फिट नहीं हूं तो मुझे ऑडिशन भी देने नहीं दिया जाता था. दोस्त कहते कि मुझे सिक्स पैक बनाना चाहिए. मुझ साधारण शक्लो सूरत वाले को कौन मौका देगा. बुरा लगता था रिजेक्ट होने पर मुझे भी लेकिन मैं ये सोचकर मुम्बई आया था कि हिम्मत नहीं हारना है. अपने घर पर बात करता था.जब भी डिप्रेसिव होता था फिर अगले दिन ऑडिशन पर चला जाता था.

आपकी आनेवाली फिल्में?

रोहित शेट्टी की फ़िल्म सर्कस.

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