मुंबई: हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में अपने उम्दा गायन से एक विशिष्ट मुकाम हासिल करने वाली किशोरी अमोनकर को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके मध्य मुंबई स्थित घर पर बडी संख्या में संगीत प्रेमी एकत्र हुए. अमोनकर का कल रात यहां निधन हो गया था. वह 84 वर्ष की थीं. किशोरी अमोनकर के पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि गायिका का आज शाम दादर श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया जाएगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि किशोरी अमोनकर का निधन भारतीय शास्त्रीय संगीत के लिए अपूरणीय क्षति है. मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘मैं उनके निधन से बहुत दुखी हूं. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे. किशोरी अमोनकर लोगों के बीच हमेशा लोकप्रिय बनी रहेंगी.’ किशोरी अमोनकर का शव प्रभादेवी इलाके में रविंद्र नाट्य मंदिर में रखा गया है ताकि लोग उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दे सकें.
Demise of Kishori Amonkar is an irreparable loss to Indian classical music. Deeply pained by her demise. May her soul rest in peace.
— Narendra Modi (@narendramodi) April 4, 2017
अमोनकर का जन्म 10 अप्रैल 1932 को मुंबई में हुआ था. अमोनकर हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की अग्रणी गायिकाओं में से एक थीं और वह जयपुर घराने से ताल्लुक रखती थीं. अमोनकर की मां जानी-मानी गायिका मोगुबाई कुर्दीकर थीं. उन्होंने जयपुर घराने के दिग्गज गायक अल्लादिया खान साहब से प्रशिक्षण हासिल किया था.
अपनी मां से जयपुर घराने की तकनीक और बारीकियां सीखने के दौरान अमोनकर ने अपनी खुद की शैली विकसित की जिस पर अन्य घरानों का प्रभाव भी दिखता है. उन्हें मुख्य रुप से खयाल गायकी के लिए जाना जाता था लेकिन उन्होंने ठुमरी, भजन और भक्ति गीत और फिल्मी गाने भी गाए.
जानी-मानी संगीतकार होने के अलावा अमोनकर एक लोकप्रिय वक्ता भी थीं. उन्होंने समूचे भारत की यात्रा करके व्याख्यान दिया. उन्होंने संगीत में रस सिद्धांत पर सबसे प्रमुख व्याख्यान दिया. कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें 1987 में पद्म भूषण और 2002 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. 2010 में वह संगीत नाटक अकादमी की फेलो बनीं.