नयी दिल्ली : काले हिरण के शिकार के दौरान गैर-कानूनी तरीके से हथियार रखने के मामले में जोधपुर की एक अदालत ने बुधवार को संदेह के आधार पर सलमान खान को बरी कर दिया हो, लेकिन वह पूरी तरह से निर्दोष नहीं है. संदेह के आधार पर बरी होने का अर्थ यह है कि सरकारी पक्ष अदालत में उनके दोष को साबित करने में नाकाम रहा. यहां यह बात भी गौर करने वाली है कि सलमान खान भले ही बॉलीवुड के अभिनेता होने के नाते नामचीन हस्तियों में शुमार हैं, लेकिन वह देश के कानून से ऊपर नहीं हैं. यदि राजस्थान का वन विभाग चाहे, तो जोधपुर की अदालत के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दे सकता है.
सुप्रीम कोर्ट के वकील नीरज कुमार ने प्रभात खबर डॉट कॉम से विशेष बातचीत के दौरान कहा कि कानून के सामने किसी का नामचीन हस्ती होना मायने नहीं रखता. यदि किसी मामले में वह दोषी है, तो उसे सजा होनी ही चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि किसी व्यक्ति का संदेह के आधार पर बरी हो जाने का अर्थ यह कतई नहीं लगाना चाहिए कि वह दोषी नहीं है. सलमान खान के गैर-कानूनी तरीके से हथियार रखने के मामले में उन्होंने कहा कि सलमान खान के मामले में सरकारी पक्ष अदालत में यह साबित नहीं कर पाया कि काले हिरण के शिकार के समय उन्होंने जिस हथियार का इस्तेमाल किया, वह गैर-कानूनी था. अगर सरकारी पक्ष यह साबित करने में सफल हो जाता, तो सलमान खान संदेह के आधार पर बरी नहीं भी हो सकते थे.
इसके साथ ही, बातचीत के दौरान सुप्रीम कोर्ट के वकील नीरज कुमार ने यह भी कहा कि सलमान खान के गैर-कानूनी हथियार रखने के मामले में राजस्थान का वन विभाग अगर चाहे, तो ऊपरी अदालत में भी इस फैसले को चुनौती दे सकता है. उन्होंने कहा कि चाहे वह इस देश का आम आदमी हो या फिर कोई नामचीन हस्ती, वह भारत के संविधान और काननू से ऊपर नहीं है.
बताते चलें कि बुधवार को जोधपुर की एक अदालत ने 18 साल पुराने चिंकारा और काले हिरण के शिकार के समय लाइसेंस की मियाद पूरी हो जाने के बाद गैर-कानूनी तरीके से हथियार रखने के मामले में बॉलीवुड अभिनेता को संदेह के आधार पर रिहा कर दिया है. बताया जाता है कि बॉलीवुड के अभिनेता सलमान खान ने फिल्म की शूटिंग के दौरान इन गैर-कानूनी हथियारों से राजस्थान में कांकाणी में ददो काले हिरणों का शिकार किया था. इस बात को लेकर अक्टूबर, 1998 में जोधपुर में मामला दर्ज कराया गया था, जिसमें करीब 20 से अधिक लोगों की गवाही ली जा चुकी थी.