फारुक शेख ने यंगिस्तान के हर टीम मेंबर को कुछ न कुछ तोहफा जरूर दिया था.
अनुप्रिया अनंत
हाल ही में नेहा शर्मा से बातचीत हुई. फिल्म यंगिस्तान में उन्हें फारुख शेख के साथ काम करने का मौका मिला. यंगिस्तान फारुक साहब की आखिरी फिल्म है. नेहा ने फारुख से साथ जुड़े कई अनुभव शेयर किये. उन्होंने बताया कि फारुक साहब किस तरह हमेशा बहुत खुशनुमा माहौल बनाने की कोशिश किया करते थे. सेट पर वह हर किसी के लिए कुछ न कुछ खाने की चीजें लाते थे.
नेहा ने यह भी बताया कि फारुक साहब उनसे अपने जमाने की फिल्मों के बारे में चर्चा किया करते थे. फारुक ने वहां सबको बताया कि फिल्म उमराव जान की शूटिंग के दौरान फिल्म के सेट पर माहौल किस तरह का होता था. कैसे वे सभी शूटिंग के बाद मिल कर गप्पें मारा करते थे. उस दौर में किस तरह लोग खाने-पीने के शौकीन थे. डायट का कोई फंडा ही नहीं होता था. नेहा ने कहा कि फारुक साहब की बातें सुन कर लगता था कि वाह, उनके पास अपने दौर की कितनी सारी यादें हैं, जो वे हमसे साझा कर रहे हैं. लेकिन क्या हम आज के दौर के स्टार्स के पास वे किस्से-कहानियां हैं? शायद नहीं. खुद नेहा स्वीकारती हैं कि अब पहले की तरह अपनत्व नहीं. लोगों के पास वैनिटी वैन है. लोग काम के बाद सीधे आराम करना चाहते हैं.
प्रोफेशनलिज्म काफी हावी है. दरअसल, नेहा ने पते की बात कही है कि क्या नेहा और उनकी समकालीन अभिनेत्रियों के पास अपनी अगली जेनरेशन के लिए कोई किस्से-कहानियां बचेंगी? क्या उनके पास वैसी कहानियां होंगी कि रंजीत किस तरह सेट पर सुनील से डरते थे और वहीदा उनके लिए खाना बनाया करती थीं. दरअसल, अब किस्से-कहानियों का प्रचलन तो किताबों से, मंचों से गायब हो चला है. चूंकि अब कहानियों में वह तिलिस्म नहीं बचा और कहनेवाले या सुननेवाले के पास वह उत्साह और रुचि. अब तो डांस फ्लोर पर पार्टी मनाने का दौर है.