करीब 7 सालों के बाद माधुरी दिक्षित आज डेढ़ इश्किया से बॉलीवुड में वापसी कर रही हैं. इससे पहले वो 2007 में यशराज फिल्म्स की आजा नचले में नजर आईं थी. पिछले साल रिलीज ये जवानी है दीवानी में उन्होंने आइटम डांस किया था.
नवाबी बैकग्राउंड और पुराने ढर्रे की कहानी होने के बावजूद यह बेहद असरदार है. खालू (नसीरूदीन शाह) और बब्बन ( अरशद वारसी) तीन साल बाद भी इस बार भी नहीं बदले है. इस बार खालूजान महमूदाबाद के एक पुराने भव्य महल में पहुंचते हैं, इस महल में खूबसूरत बेगम पारा (माधुरी दीक्षित) ने एक खुला मुशायरा आयोजित किया हैं. बेगम पारा के इस महल में खालूजान भी खुद को नवाब बताकर दाखिल हो जाते हैं. इस बार उनका मकसद कोई छोटा-मोटा हाथ मारने की बजाय महल की तिजोरी में रखी दौलत को लूटना है. खालूजान खुद को शायर बताते हैं और मुशायरे में शामिल हो जाते हैं.
मुशायरे में अपनी शायरी से बेगम परा को प्रभावित करने वाले खालूजान साहब खुद बेगम पारा से प्यार करने लगते हैं. बेगम पारा का शौहर अब इस दुनिया में नहीं हैं, इस लिए बेगम को अब अपने लिए जीवनसाथी चाहिए. बेगम पारा इसकी वजह भी अपने मरहूम पति की आखिरी ख्वाहिश बताती है. पारा कहती हैं कि नवाब साहब ने मरने से पहले उनसे ऐसा वचन लिया था. इसी मुशायरे के दौरान खालूजान देखते हैं कि यहां बब्बन मियां भी पहुंच चुके हैं. महल में आने के बाद बब्बन मियां को बेगम साहिबा खासमखास नौकरानी मुनिया (हुमा कुरैशी) से इश्क हो जाता है.
फिल्म ‘यारियां’ में नए कलाकारों को मौका दिया गया है और निर्देशिका दिव्या खोसला कुमार के काम से दर्शक अंजान भी हैं क्योंकि यह उनकी पहली फिल्म है. लेकिन फिल्म का प्रमोशन इतने उम्दा तरीके से किया गया है कि ‘यारियां’ फिल्म का ट्रेलर जारी होते ही चर्चा का विषय बन गया.
‘यारियां’ फिल्म की कहानी टीनएजर्स के ईर्द-गिर्द घूमती है और इस फिल्म के निर्माता भूषण कुमार और कृष्ण कुमार फिल्म ‘आशिकी 2’ के निर्माता भी रह चुके हैं.
जहां एक तरफ ‘डेढ़ इश्किया’ फिल्म के गाने कुछ खास चर्चा में नहीं रहे हैं वहीं दूसरी तरफ ‘यारियां’ फिल्म को चर्चित करने में संगीत का अहम हाथ रहा है. हनी सिंह द्वारा गाए गाने ‘सनी सनी’ और ‘एबीसीडी’ क्लबों में धूम मचा रहे हैं. इस लिहाज से बॉक्स ऑफिस पर ओपनिंग के मामले में ‘डेढ़ इश्किया’ की तुलना में फिल्म ‘यारियां’ भारी पड़ती दिखाई दे रही है.